जर्मनी की ओर से कहा गया है कि भारत के साथ वह एक भरोसे के माहौल में काम करना और रिश्तों को आगे ले जाना चाहता है। जर्मनी के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि बर्लिन की भारत के साथ निकट सहयोग बनाने में रुचि है। हम भारत के साथ विश्वास के माहौल में मिलकर काम करना चाहते हैं।
जर्मनी की ओर से दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर बयान जारी करने के बाद भारत ने इस पर एतराज जताया था। नई दिल्ली में जर्मन राजनयिक को तलब भी किया गया था। इससे दोनों देशों में एक तनाव दिखा था, इसे कम करने के लिए अब जर्मनी ने डैमेज कंट्रोल शुरू कर दिया है और भारत से बेहतर रिश्ते रखने की ख्वाहिश का इजहार किया है।
जर्मनी अब अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर टिप्पणी से पीछे हटता दिख रहा है। केजरीवाल की गिरफ्तारी पर उनकी सरकार की टिप्पणी पर भारत के वरिष्ठ जर्मन राजनयिक को तलब किए जाने के बाद जर्मनी ने अपने सुर बदल लिए हैं। जर्मन विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने अब भारतीय संविधान में विश्वास जताया। अधिकारी ने कहा कि भारतीय संविधान और मैं इसे अपने दृष्टिकोण से कह सकता हूं क्योंकि मैं खुद भारत में तैनात था। मौलिक मानवीय मूल्यों और स्वतंत्रता की गारंटी देता है। हम एशिया में एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में भारत के साथ इन लोकतांत्रिक मूल्यों को साझा करते हैं।
हम भारत से निकटता के पक्षधर
जर्मनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि शनिवार को मंत्रालय में इस विषय पर चर्चा हुई। मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि भारत और जर्मनी निकट सहयोग और विश्वास के माहौल में एक साथ रहने में बहुत रुचि रखते हैं। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को पिछले सप्ताह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार कर लिया था। मौजूदा सीएम की गिरफ्तारी पर अमेरिका और जर्मनी ने चिंता जताते हुए बयान जारी किए थे।
जर्मन विदेश कार्यालय के प्रवक्ता से अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर सवाल किया गया था। इस पर उन्होंने कहा था किहमने इस मामले की जानकारी ली है। हम उम्मीद करते हैं कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांतों से जुड़े मानकों को इस मामले में भी लागू किया जाएगा।
आरोपों का सामना करने वाले किसी भी व्यक्ति की तरह केजरीवाल भी निष्पक्ष सुनवाई के हकदार हैं। वे बिना किसी प्रतिबंध के सभी उपलब्ध कानूनी रास्तों को इस्तेमाल कर सकें। इसके जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा था कि इस तरह की टिप्पणियों को हम न्यायिक प्रक्रिया में दखल और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करने की कोशिश के रूप में देखते हैं।
-एजेंसी