भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर से रूस-यूक्रेन जंग पर भारत के रुख़ का बचाव किया है. जयशंकर अभी जापान के दौरे पर हैं और शुक्रवार को निक्केई फोरम को संबोधित कर रहे थे. इसी दौरान वह एक सवाल जवाब सत्र में भी शामिल हुए.
जापानी पत्रकार ने जयशंकर से पूछा कि आप संप्रभुता के सम्मान करने की बात कहते हैं लेकिन यूक्रेन पर रूस ने हमला किया तो भारत ने इसकी आलोचना नहीं की. क्या यह दोहरा मानदंड नहीं है?
इस सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा, ”दुनिया कई मामलों में बहुत जटिल है. यहाँ अलग-अलग सिद्धांत और मान्यताएं हैं. विश्व राजनीति में कुछ होता है तो कुछ देश अपने हिसाब से कोई मुद्दा, हालात और सिद्धांत चुनते हैं और उन पर ज़ोर देने लगते हैं क्योंकि यह उनके हित में होता है.”
”आज़ादी के तत्काल बाद ही हमने पड़ोसियों की आक्रामकता झेली है. हमने अपनी सीमा को बदलते देखा है. यहाँ तक कि आज भी भारत के कुछ हिस्से पर अन्य देशों का कब्ज़ा है. लेकिन हमने नहीं देखा कि दुनिया हमारे साथ सिद्धांतों को लेकर खड़ी हुई. लेकिन मैं इस बात की वकालत नहीं करता हूँ कि हमारे साथ नाइंसाफ़ी हुई है तो यह सबके साथ होनी चाहिए.”
जयशंकर ने कहा, ”हमारे प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति पुतिन के सामने कहा था कि यह युद्ध का दौर नहीं है और वह इसमें भरोसा नहीं करते हैं. हर संघर्ष का समाधान टेबल पर ही संभव है. आप युद्ध के मैदान में भी फ़ैसला कर सकते हैं लेकिन मुझे नहीं लगता है कि यूक्रेन-रूस की जंग का फ़ैसला युद्ध के मैदान में हो सकता है.”
यूएन में सुधार की मांग
इसी इंटरव्यू में जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार की वकालत की. जयशंकर ने कहा, ”हममें से ज़्यादातर लोग मानते हैं कि संयुक्त राष्ट्र में सुधार की ज़रूरत है. जब संयुक्त राष्ट्र बना था तब क़रीब 50 मुल्क इसके सदस्य थे.”
”आज की तारीख़ में लगभग 200 देश यूएन के सदस्य हैं. किसी भी संगठन में सदस्यों की संख्या चार गुना बढ़ जाए तो उसके नेतृत्व और निर्णय लेने का तरीक़ा पुराना नहीं रह सकता. जो संयुक्त राष्ट्र में बदलाव नहीं चाहते हैं, वो इसमें सुधार को लटका रहे हैं.”
एशिया में चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एकमात्र स्थायी सदस्य है और वह भारत के स्थायी सदस्य बनने की मांग का विरोध करता है. जयशंकर से यह भी पूछा गया कि क्या वह आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे?
इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ”आप राजनीति निर्णय वही लेते हैं जो पार्टी नेतृत्व फ़ैसला करता है. पिछले साल ही मैं राज्यसभा के लिए चुना गया था. संसद के लिए मेरी सदस्यता अब भी है. इसके अलावा इस सवाल का जवाब मेरे पास कुछ और नहीं है.”
-एजेंसी