नई दिल्ली: बुजुर्ग का किया देहदान, रिसर्च के लिए परिजनों ने मेडिकल कॉलेज को सौंपी बॉडी

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नई दिल्ली। मेडिकल क्षेत्र में बॉडी डोनेशन एक बड़ी चीज होती है। इससे प्रशिक्षण कर रहे डॉक्टरों को इंसानों के शरीर को समझने और एक्सपेरिमेंट करने में मदद मिलती है। ऐसा ही एक नया मामला सामने आया है जहां 92 वर्षाीय गुरमोहन सिंह ढींगरा की मौत के बाद उनके परिजनों ने मौलाना मेडिकल कॉलेज को अनुसंधान करने के उद्देश्य से उनकी डेड बॉडी को दान करने का फैसला किया। दिल्ली के द्वारका स्थित आकाश हेल्थकेयर में बुजुर्ग ने मंगलवार की शाम अंतिम सांस ली थी।

परिजनों ने पहले अंगदान करने का फैसला किया, लेकिन चिकित्सा अध्ययन करने के उद्देश्य से आखिरकार देह दान कर ऐतिहासिक फैसला लिया गया। परिजन जल्द ही देहदान की कागजी कार्रवाई पूरी करेंगे। परिजनों की ओर से लिए गए इस फैसले के बाद आकाश हेल्थकेयर के डॉक्टरों और अन्य कर्मियों ने भी इस फैसले की सराहना की।

इस बारे में आकाश हेल्थकेयर के एमडी डॉ. आशीष चौधरी ने कहा, विज्ञान की प्रगति के लिए मृत्यु पश्चात अपना शरीर दान करना एक अनूठा और अमूल्य उपहार है। निश्चित रूप से इससे प्रशिक्षु डॉक्टरों को अनुसंधान के काम आएगा।

डॉ. आशीष ने कहा, मरीज को ब्रेन डेड घोषित किए जाने के बाद उनके परिवार ने आगे आकर अंग दान करने की इच्छा व्यक्त की, लेकिन दुर्भाग्य से गंभीर बीमारी के कारण मरीज के अंग नहीं निकाले जा सकते थे। इसके बाद परिजनों ने चिकित्सा अनुसंधान उद्देश्यों के लिए पूरे शरीर को दान करने की इच्छा व्यक्त की।

बुजुर्ग की मौत के बावजूद शोकाकुल परिवार की ओर से यह एक नेक कार्य था। यह पूरे देश के लिए एक उदाहरण है, जहां जीवित रखने के लिए अंगों का इंतजार करने वाले लोगों की संख्या काफी अधिक है। इसलिए मैं पूरे परिवार को इस नेक कार्य के प्रति आगे आने के लिए धन्यवाद और बधाई देना चाहता हूं।

वहीं इस फैसले पर परिजनों ने कहा कि उन्हें खोने का दर्द तो हमेशा रहेगा लेकिन इस कठिन घड़ी में उन्होंने यह सोचा कि उनके शव मेडिकल रिसर्च और शिक्षा के काम आ सके। देहदान दुनिया का सबसे बड़ा दान होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए परिवार के सभी लोगों ने मिलकर यह ऐतिहासिक फैसला लिया है।

-up18News




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