हाथी प्रशंसा दिवस 2025: प्रकृति के सौम्य और अद्भुत जीव के सम्मान का जश्न

अन्तर्द्वन्द

हर साल, दुनिया 22 सितंबर को हाथी प्रशंसा दिवस मनाती है। इस वर्ष, वाइल्डलाइफ एसओएस पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में हाथियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, इनके शोषण और दुर्व्यवहार के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आह्वान करता है।

हाथी जंगल के इंजीनियर हैं, जो भूदृश्यों को आकार देते हैं और बीज बिखेरते हैं। उनका चारागाह रास्तों को साफ करता है और जंगलों को खोलता है, जिससे सूर्य का प्रकाश छोटे पौधों तक पहुँचता है। प्रकृति के माली के रूप में, वे अपने गोबर के माध्यम से बड़े, कार्बन-भंडारित पेड़ों के बीज बिखेरते हैं, मिट्टी को समृद्ध बनाते हैं और जैव विविधता को बनाए रखते हैं। जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखकर, हाथी ना केवल जंगल और उनमे रहने वाले जीवों की रक्षा करते हैं, बल्कि वे जीवन को बनाए रखने में भी मदद करते हैं।

वाइल्डलाइफ एसओएस के सीईओ और सह-संस्थापक, कार्तिक सत्यनारायण बताते हैं “हाथी न केवल भारत की सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक हैं, बल्कि हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के आधार स्तंभ भी हैं। हाथी प्रशंसा दिवस पर, हम उन पर हो रहे शोषण को समाप्त कर उन्हें वह सम्मान, स्वतंत्रता और चिकित्सा देखभाल दिलाना चाहते हैं, जिसके वे हकदार हैं।”

अपने महत्व के बावजूद, भारत में हाथियों को अब भी खतरों का सामना करना पड़ रहा है। कई हाथियों को अभी भी अवैध रूप से पकड़ा जाता है, उनके साथ क्रूर व्यवहार किया जाता है और उन्हें कष्ट और आघात का जीवन जीने के लिए मजबूर किया जाता है।

वाइल्डलाइफ एसओएस अपने “बेगिंग एलीफेंट कैंपेन” जैसे कार्यक्रमों के ज़रिए इस अत्याचार को खत्म करने के अपने प्रयास जारी रखे हुए है। यह एक राष्ट्रव्यापी कैंपेन है, जो हाथियों को शहरी सड़कों, मंदिर अनुष्ठानों और शादी समारोहों से बचाता है जहाँ उनसे भीख मँगवाई जाती है। इन हाथियों को वाइल्डलाइफ एसओएस हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र और मथुरा स्थित भारत के पहले हाथी अस्पताल में चिकित्सा देखभाल, पुनर्वास और शांति से रहने का अवसर प्रदान किया जाता है।

लॉन्च होने के बाद से, बेगिंग एलीफेंट कैंपेन ने मनु जैसे हाथियों को बचाया है, जो पूर्ण रूप से नेत्रहीन और दीर्घकालिक घावों से पीड़ित हैं, और हरी, जो गंभीर जोड़ों की विकृति और लंबे समय तक दुर्व्यवहार के कारण गहरे जख्मों से पीड़ित हैं।

वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव गीता शेषमणि ने कहा “बेगिंग एलीफेंट अभियान का उद्देश्य भारत में कैप्टिव हाथियों की कहानी बदलना है। बचाए गए प्रत्येक हाथी का जीवन ज़ंजीरों और दुर्व्यवहार से करुणा और देखभाल में बदला जाता है। हमारे अभयारण्य इस बात के जीवंत उदाहरण हैं कि आज़ादी कैसी होती है।”

भारत का पहला हाथी मोबाइल क्लिनिक, ‘हाथी सेवा’, एक और उपलब्धि का प्रतीक है। वाइल्डलाइफ एसओएस द्वारा शुरू किया गया यह क्लिनिक देश भर में संकटग्रस्त हाथियों को तत्काल चिकित्सा सेवा प्रदान करता है। विशेष पशु चिकित्सा कर्मचारियों और उपचार सुविधाओं से सुसज्जित, हाथी सेवा उन हाथियों तक सीधे स्वास्थ्य सेवा पहुँचाती है, जो अन्यथा उपेक्षित रह जाते।

अपनी शुरुआत के बाद से, हाथी सेवा ने कई राज्यों में 130 से अधिक हाथियों का इलाज किया है, जिसमें संक्रमित घावों से लेकर गंभीर चोटों तक की स्थितियों का समाधान किया गया है।

वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी. ने कहा “हाथी सेवा एक अभूतपूर्व पहल है, जो ज़रूरतमंद हाथियों को पशु चिकित्सा सेवा प्रदान करती है, चाहे वे कितने भी दूर क्यों न हों। यह मोबाइल क्लिनिक एक महत्वपूर्ण कमी को पूरा कर रहा है और इन हाथियों को बेहतर जीवन जीने का एक मौका दे रहा है।”

विश्व स्तर पर, एशियाई हाथियों को IUCN द्वारा लुप्तप्राय श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है, और जंगल में इनकी संख्या 50,000 से भी कम बची है। इसलिए, भारत की हाथी आबादी का संरक्षण इस प्रजाति के अस्तित्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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