सिंधी भाषा और संस्कृति संभालने को बुजुर्गों को आगे आना होगा

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आगरा। सिंधी समाज में अपनों की ओर से ही अपनी बोली से दूरी बनाने की वजह से सिंधी भाषा का काफी नुकसान हो चुका है। इससे सिंधी संस्कृति पर भी आंच आ रही है, क्योंकि संस्कृति भाषा से ही पल्लवित होती है। इसलिए सिंधी भाषा और संस्कृति को संभालने की बहुत जरूरत है। इसके लिए बड़े बुजुर्गों को आगे आना होगा। इस तरह के विचार दरेसी स्थित होटल लाल्स इन में आयोजित सिंधी सेंट्रल पंचायत की बैठक में व्यक्त किए गए।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए सिंधी सेंट्रल पंचायत के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश सोनी ने कहा कि सिंधी भाषा पर बहुत काम करने की जरूरत है। आज की पीढ़ी ने सिंधी भाषा से दूरी बनाई है, तो इसके लिए कहीं न कहीं वरिष्ठ पीढ़ी के प्रयासों की कमी बड़ा कारण है। यह इस भाषा और संस्कृति को और नुकसान पहुंचाने का कारण बन रहे हैं। अनुभवी व वरिष्ठ पीढ़ी को आगे आना होगा। नई पीढ़ी को अपनी भाषा की अहमियत समझानी होगी।
घनश्याम दास देवनानी ने कहा कि नई पीढ़ी को भी समझना होगा कि अपनी भाषा और संस्कृति को मिटने न दें। कोई भी भाषा बोलना बच्चा अपनी मां से सीखता है। मातृ भाषा बच्चे की पहचान होती है। घरों में जब मां अपने बच्चे को सिंधी सिखाएगी। तभी वह सिंधी भाषा का महत्व समझेगा।
मीडिया प्रभारी मेघराज दियालानी ने कहा कि वर्तमान समय में सिंधी समाज के लोगों द्वारा सिंधी भाषा नहीं बोलने के कारण समाज के बच्चे सिंधी भाषा व संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। पाश्चात्य संस्कृति का असर उन्हें अपनी जमीन से दूर कर रहा है। परिवार को और अनुभवी लोगों को नई पीढ़ी का स्कूल बनना होगा। भाषा समाज में एकता बनाए रखेगी जिससे उसका विकास भी होगा।बैठक में  मुख्य सरक्षक गागन दास रमानी, अध्यक्ष  चंद्रप्रकाश  सोनी, मेघराज दियालानी,  जय राम दास होतचंदानी, नन्द लाल आयलनि, परमानन्द अतवानी, किशोर बुधरानी, नरेंद्र पुरसनानी, सुशील नोतनानी,  राज कुमार गुरनानी, अशोक कोडवानी, जय प्रकाश केशवानी, अमृत माखीजा,  नरेश देवनानी, कमल छाबड़िया, अशोक पारवानी, भजन लाल, दौलत खूबनानी, जय किशन बुधरानी, अशोक चावला,दीपक अतवानी, जीतेन्द्र पमनानी, योगेश रखवानी, रोहित आयलनि आदि मौजूद रहे।

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