​’डबल इंजन टकराहट 2.0′: अखिलेश यादव का BJP पर बड़ा हमला, बोले- “जब क्षमता कुर्सी की, तो स्टूल पर क्यों बैठना?”

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लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अंदरूनी हालातों को लेकर एक बार फिर सोशल मीडिया पर ‘सियासी बम’ फोड़ा है। अखिलेश ने भाजपा नेतृत्व के बीच चल रही कथित खींचतान को “डबल इंजन टकराहट 2.0” करार देते हुए कहा कि अब पार्टी के भीतर दो अध्यक्षीय इंजनों के बीच खुला टकराव शुरू हो गया है।

“स्टूल वाली मजबूरी छोड़ें नेता”

​अखिलेश यादव ने बिना नाम लिए लखनऊ और दिल्ली के बीच के मतभेदों पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि एक 7 बार के वरिष्ठ सांसद को 5 बार के विधायक के सामने निम्न पद देकर अपमानित किया गया है। उन्होंने लखनऊ नेतृत्व को सलाह देते हुए लिखा, “उनकी खीझ का कारण उचित है, लेकिन जब तक वो इस भेदकारी सोच से बाहर नहीं आएंगे, भला नहीं होगा। अब उनको ठानना होगा कि जब कुर्सी पर बैठ सकते हैं तो स्टूल पर क्यों बैठा जाए।”

BJP की राजनीति: “सीढ़ी हटाना और रस्सी खींच लेना”

सपा प्रमुख ने भाजपा की कार्यशैली पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह पार्टी “छत पर चढ़ाकर सीढ़ी हटा लेने और कुएँ में उतारकर रस्सी खींच लेने” वाली राजनीति करती है। उन्होंने कहा कि भाजपा केवल पद ही नहीं छीनती, बल्कि जरूरत खत्म होने पर ‘नेम प्लेट’ तक हटवा देती है। अखिलेश के मुताबिक, भाजपा जब अपनों की सगी नहीं हुई, तो दूसरों की क्या होगी।

वणिक समाज और रोजगार पर घेरा

अखिलेश यादव ने अपने बयान में व्यापारियों और वणिक समाज का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा ​भाजपा ने अलग-अलग समाज के चेहरों को पदों पर बैठाया तो है, लेकिन उन्हें कोई महत्वपूर्ण शक्ति नहीं दी। GST और मंदी की मार झेल रहा वणिक समाज आज खुद को अपमानित महसूस कर रहा है। रोजगार भाजपा के एजेंडे में है ही नहीं, जिससे युवाओं का भविष्य असुरक्षित है।

“खुदगर्जों का खानदान है भाजपा”

अखिलेश यादव ने कटाक्ष करते हुए कहा कि एक राजनीतिक दल के रूप में भाजपा अब खत्म हो चुकी है। अब वहां केवल स्वार्थ की सियासत के लिए मजबूर लोग बचे हैं जो एक-दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते। उन्होंने अपने पोस्ट का अंत इन पंक्तियों से किया

“भाजपा कुछ ख़ुदगर्ज़ों का खानदान है,
बाक़ी सबके हिस्से आता अपमान है।”

सपा प्रमुख के इस बयान के बाद उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में एक बार फिर बयानबाजी का दौर शुरू होने की संभावना है।

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