“डायरिया से डर नहीं” अभियान की आगरा में शुरुआत — बच्चों को डायरिया से सुरक्षित बनाने की अनूठी जनस्वास्थ्य पहल

स्थानीय समाचार

आगरा: शून्य से पाँच वर्ष तक के बच्चों को डायरिया (दस्त) से सुरक्षित रखने के उद्देश्य से जनपद में एक अनूठी जनस्वास्थ्य पहल की शुरुआत की गई है। स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में पॉपुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल-इंडिया (पीएसआई-इंडिया) और केनव्यू के सहयोग से “डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम का शुभारंभ गुरुवार को एक स्थानीय होटल में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने की।

सीएमओ डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि शून्य से पाँच वर्ष के बच्चों की मृत्यु के प्रमुख कारणों में डायरिया भी शामिल है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस पर नियंत्रण के लिए चलाए जा रहे “स्टॉप डायरिया कैम्पेन” को अब “डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम से और गति मिलेगी।

उन्होंने कहा कि इस अभियान के तहत समुदाय में जागरूकता बढ़ाने, व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित करने और दस्त प्रबंधन को प्रभावी बनाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

आशा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी सेविकाओं और देखभालकर्ताओं का क्षमतावर्धन (कैपेसिटी बिल्डिंग) किया जाएगा ताकि वे डायरिया की शीघ्र पहचान कर सकें और बच्चों को सही समय पर ओआरएस व जिंक उपलब्ध करा सकें।

पीएसआई-इंडिया के स्टेट हेड अमित कुमार और सीनियर मैनेजर प्रोग्राम अनिल द्विवेदी ने बताया कि अभियान के तहत

आशा, आंगनबाड़ी, एएनएम और महिला आरोग्य समिति सदस्यों को डायरिया की रोकथाम से जुड़ी जानकारी दी जाएगी।

ओआरएस की महत्ता, शीघ्र स्तनपान, छह माह तक केवल माँ के दूध के लाभ पर प्रशिक्षण दिया जाएगा।

हाथ धोने की सही विधि और स्वच्छता के महत्व पर विशेष बल दिया जाएगा।

दीवार लेखन व प्रचार सामग्री के माध्यम से डायरिया से बचाव के संदेश घर-घर पहुँचाए जाएंगे।

उन्होंने बताया कि इस अभियान से आईसीडीएस, शिक्षा विभाग, निजी चिकित्सक और अस्पताल भी जोड़े जाएंगे ताकि प्रयास बहुआयामी बन सके।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डॉ. सुरेंद्र ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा प्रमाणित ओआरएस को डायरिया के इलाज का गोल्ड स्टैंडर्ड माना गया है।

उन्होंने कहा कि यदि बच्चे को 24 घंटे में तीन या अधिक बार पतला दस्त हो, तो यह डायरिया का लक्षण हो सकता है। शुरुआती अवस्था में ओआरएस का सेवन बच्चे को गंभीर स्थिति से बचा सकता है। उन्होंने रोटा वायरस वैक्सीन के महत्व की जानकारी भी दी।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के नोडल अधिकारी डॉ. ऋषि गोपाल ने कहा कि नवजात को जन्म के तुरंत बाद स्तनपान कराना और छह माह तक केवल माँ का दूध देना बच्चे को संक्रमणों से बचाने में अत्यंत प्रभावी है।

केनव्यू के सेल्फ केयर बिजनेस यूनिट हेड प्रशांत शिंदे ने बताया कि “‘डायरिया से डर नहीं’ एक बहुवर्षीय पहल है जो सरकार के ‘डायरिया रोको अभियान’ को मज़बूती प्रदान करेगी।”

उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में एकीकृत दस्त प्रबंधन को सशक्त बनाना और ओआरएस कवरेज का विस्तार करना है।

कार्यक्रम में जिला पंचायत राज अधिकारी मनीष, डॉ. के.सी. धाकड़ (अधीक्षक, जिला महिला अस्पताल), डॉ. महिमा चतुर्वेदी (एसएमओ, WHO), अरविंद शर्मा (रीजनल कोऑर्डिनेटर, यूनिसेफ), राहुल कुलश्रेष्ठ (डीएमसी, यूनिसेफ),
साथ ही केनव्यू और पीएसआई इंडिया के वरिष्ठ प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

(रिपोर्ट: शीतल सिंह माया )

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