आगरा; श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन ट्रस्ट आगरा के तत्वाधान में जैन स्थानक महावीर भवन में चल रही चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में प्रतिदिन जिनवाणी की दिव्य धारा प्रवाहित हो रही है। इस आध्यात्मिक वातावरण में देशभर से धर्मप्रेमियों की उपस्थिति धर्म सभा को गौरवमय बना रही है।
भगवान महावीर की करुणा: सरलता में महानता
आगम ज्ञान रत्नाकर, बहुश्रुत पूज्यश्री जयमुनि जी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि भगवान महावीर की करुणा सभी जीवों के लिए समान है। उन्होंने भेदभाव रहित जीवन जीने की प्रेरणा दी। जीवन को सार्थक बनाने हेतु विचारों को सरल बनाना आवश्यक है। तीन प्रकार के व्यक्तित्व—ऋजु, वक्र और सरल—का उल्लेख करते हुए उन्होंने सहज स्वभाव को महानता की नींव बताया।
विचारों में मौन, वचनों में मर्यादा
पूज्यश्री आदीश मुनि जी ने जिनवाणी को आत्मा की वाणी बनाने का आह्वान किया। ‘सुख पाने के सूत्र’ श्रृंखला में मुनिश्री ने मौन को साधारण चुप्पी से आगे बताते हुए विवेकशील और मर्यादित भाषा को मौन की श्रेणी में रखा। उन्होंने दशवैकालिक सूत्रों के माध्यम से वाणी की मर्यादा के नियमों की चर्चा की और कहा कि विवेकहीन वचन दुख का कारण बनते हैं।
शरीर क्षणिक, आत्मा शाश्वत
मुनि श्री विजय मुनि जी ने चार गतियों में घूमते शरीर के कष्टों का स्मरण कराते हुए आत्मा के अनन्त सुख की व्याख्या की। कषायों के क्षय से निर्भीकता, सरलता और विनय का जन्म होता है, जो मोक्ष मार्ग की ओर प्रेरित करता है।
युवा दिवस की घोषणा एवं तपस्या की साधना
गुरुदेव ने आगामी रविवार, 4 अगस्त को “युवा दिवस” मनाने की घोषणा की और जैन-अजैन युवा वर्ग को शामिल करने की अपील की। आज का जाप मंत्र “श्री आदिनाथाय नमः” निर्धारित किया गया। तपस्या की श्रृंखला में बालकिशन जी का पाँचवाँ आयंबिल, श्रीमती दिव्या का दसवाँ, तथा श्रीमती उमा रानी का सातवाँ उपवास उल्लेखनीय रहा।
देशभर से श्रद्धालुओं की उपस्थिति
धर्म सभा में हैदराबाद, अलवर, नूंह और गुलबर्गा जैसे विभिन्न शहरों से धर्म प्रेमी श्रद्धालुओं की सहभागिता ने कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाया।
-up18News