वोट चोरी के आरोप पर कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन, रामलीला मैदान से खरगे ने भाजपा को बताया गद्दार और ड्रामेबाज

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नई दिल्ली। वोट चोरी के आरोपों को लेकर कांग्रेस ने रविवार को राजधानी के रामलीला मैदान में एक विशाल महारैली का आयोजन किया। इस रैली में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे मौजूद रहे। मंच से तीनों नेताओं ने केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर तीखा हमला बोला और चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाया।

रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भाजपा पर सबसे तीखे शब्दों में निशाना साधा। उन्होंने भाजपा नेताओं को “वोट चोरी करने वाले गद्दार और ड्रामेबाज” करार देते हुए कहा कि ऐसे लोगों को सत्ता से हटाना जरूरी है, ताकि देश के मताधिकार और संविधान की रक्षा की जा सके। खरगे ने कहा कि यह लड़ाई केवल सत्ता की नहीं, बल्कि लोकतंत्र, वोट और संविधान को बचाने की है।

खरगे ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आरएसएस और मनुस्मृति की विचारधारा पर चल रहे हैं, जो देश को मजबूत करने के बजाय खत्म कर देगी। उन्होंने कहा कि यदि देश को बचाना है, वोटों को सुरक्षित रखना है और संविधान की रक्षा करनी है, तो जनता को कांग्रेस और राहुल गांधी के साथ खड़ा होना होगा। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस की विचारधारा ही देश को आगे ले जा सकती है, जबकि आरएसएस और मनुस्मृति की सोच समाज को पीछे धकेलने का काम कर रही है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि हिंदुत्व के नाम पर गरीबों को फिर से गुलामी की ओर धकेलने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता कांग्रेस के साथ-साथ महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और डॉ. भीमराव आंबेडकर के खिलाफ बयान देते हैं और दूसरी ओर वोट चोरी जैसे कृत्यों में लिप्त हैं। उन्होंने ऐसे लोगों को “गद्दार” बताते हुए कहा कि इन्हें सत्ता से बाहर करना समय की मांग है।

खरगे ने दावा किया कि भाजपा एक बार चुनाव हार जाएगी तो उसका नामोनिशान नहीं रहेगा, जबकि कांग्रेस पार्टी हार के बाद भी जिंदा रही है और आगे भी संघर्ष करती रहेगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि केरल के स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को करारी शिकस्त दी है।

रैली में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भी केंद्र सरकार पर लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने और चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप के आरोप लगाए। नेताओं ने एक स्वर में कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे लोकतंत्र की रक्षा के लिए एकजुट होकर संघर्ष करें।

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