कांग्रेस ने दलित और अनुसूचित जाति के भाइयों को कभी भी इंसानियत की दृष्टि से नहीं देखा: भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा

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आगरा। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा यूपी के आगरा में भाजपा अनुसूचित मोर्चा द्वारा आयोजित ‘अनुसूचित जाति महासम्मेलन’ को संबोधित​ किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि, लबें समय तक कांग्रेस पार्टी ने इस देश का शासन चलाया है। उन्होंने अपने शासनकाल में हमारे दलित भाइयों को, अनुसूचित जाति के भाइयों को कभी भी मानवता और इंसानियत की दृष्टि से नहीं देखा। जब उन्होंने देखा तो वोटबैंक की राजनीति को ध्यान में रखकर देखा। लेकिन भाजपा वैचारिक पार्टी है। जब हम सत्ता में भी नहीं थे, तब भी हमने एकात्म मानववाद की दृष्टि से ये कहा था कि जब तक समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का भला नहीं होगा, तब तक देश तरक्की नहीं करेगा।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा, इसीलिए कांग्रेस ने नहीं बल्कि भाजपा ने अंत्योदय का कार्यक्रम चलाया। उस समय कांग्रेस बोलती थी कि ये अंत्योदय क्या होता है? उसी समय हमने कहा था कि जब अंत का उदय होगा, तभी भारत का उदय होगा, तभी भारतीय समाज आगे बढ़ेगा। साथ ही कहा, समाज में दलित, शोषित, वंचित, पीड़ित जिसको लोगों ने वोटबैंक की राजनीति से देखने का उपकरण समझा है, जब तक उसे हम प्रथम पंक्ति में लाकर खड़ा नहीं करेंगे, बराबरी का हाथ नहीं बढ़ाएंगे, तब तक समाज आगे नहीं बढ़ सकता है। ये भाजपा और भारतीय जनसंघ ने कहा था।

साथ ही कहा, मोदी जी ने उसी को आगे बढ़ाते हुए कहा-सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास। जब सबकी चिंता होगी, सबके प्रयास से चिंता होगी, जब सबका विश्वास मिल पाएगा, और जब सब लोग मिलकर साथ आएंगे तभी समाज का विकास होगा। उन्होंने कहा, पंचतीर्थ की याद कांग्रेस को क्यों नहीं आई? संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की कांग्रेस द्वारा उपेक्षा की गई, उनका उपहास किया गया, उनके योगदान को हमेशा कम आंका गया। यही कांग्रेस का चरित्र है, यही कांग्रेस का इतिहास है।

उन्होंने आगे कहा, ये इतिहास में दर्ज है कि मुंबई से संविधान सभा के चुनाव में बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को हराया था। उन्हें संविधान सभा में आने के लिए बंगाल जाना पड़ा और वे वहां से चुनकर आए। आज मोदी जी के नेतृत्व में अनुसूचित जाति की दृष्टि से सामाजिक न्याय मंत्रालय का 90% बजट बढ़ा दिया गया है। अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना के तहत 31 हजार गांवों को शामिल किया गया है। जिससे इन गांव में रहने वाले साढ़े 35 लाख लोगों का जीवन सुधर सके।

-एजेंसी

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