पीएम मोदी ने कहा कि ये नया ड्रामा चलाया जा रहा है लेकिन देश ये जानता है कि ये हजारो करोड़ रुपये की हेराफेरी के मामले में जमानत पर हैं, ओबीसी पर टिप्पणी के मामले में सजा पा चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर टिप्पणी को लेकर माफी मांगनी पड़ी है. इन पर वीर सावरकर के अपमान का मुकदमा है. इन पर देश की सबसे बड़ी पार्टी के अध्यक्ष को हत्यारा कहने का मुकदमा है. इन पर कई अदालतों में झूठ बोलने के केस हैं. बालक बुद्धि में न बोलने का ठिकाना होता है ना व्यवहार का ठिकाना होता है. बालक बुद्धि जब पूरी तरह से सवार हो जाती है तो ये सदन में भी किसी के गले पड़ जाते हैं. सदन में बैठकर भी आंखें मारते हैं. इनकी सच्चाई पूरा देश समझ गया है. इसलिए देश इनसे कह रहा है- तुमसे नहीं हो पाएगा. तुलसी दासजी कह गए हैं- जुठई लेना, जुठई देना, जुठई भोजन, जुठई चबेना. कांग्रेस ने जूठ को राजनीति का हथियार बनाया.
कांग्रेस के मुंह जूठ लग गया है जैसे वो आदमखोर एनिमल होता है न जिसके मुंह पर लहु लग जाता है. वैसे कांग्रेस के मुंह जूठ का खून लग गया है. देश ने कल एक जुलाई को खटाखट दिवस भी मनाया है. एक जुलाई को लोग अपने बैंक अकाउंट चेक कर रहे थे कि 8500 रुपये आए कि नहीं आए. झूठ नैरेटिव का परिणाम देखिए, कांग्रेस ने देशवासियों को गुमराह किया, माताओं-बहनों को हर महीने 8500 रुपये देने का झूठ. माताओं-बहनों के दिल को जो चोट लगी है, वह कांग्रेस को तबाह करने वाली है.
ईवीएम को लेकर झूठ, संविधान को लेकर झूठ, राफेल को लेकर झूठ, बैंकों को लेकर झूठ. हौसला तो इतना बढ़ गया कि कल सदन को भी गुमराह करने का प्रयास हुआ. अग्निवीर को लेकर भी झूठ बोला गया. कल भरपूर असत्य बोला गया. संविधान की गरिमा से खिलवाड़ सदन का दुर्भाग्य है. अनेक बार जीतकर आए लोग सदन की गरिमा से खिलवाड़ करें, ये शोभा नहीं देता. जो दल 60 साल तक यहां बैठा है, जो सरकार के काम को जानता है, जिसके पास अनुभवी नेताओं की श्रृंखला है, वह दल जब झूठ के रास्ते को चुन ले तब देश गंभीर संकट की ओर जा रहा है, इस बात का संकेत है.
यह महापुरुषों का अपमान है, आजादी दिलाने वालों का अपमान है. आप सहृदयी हैं, अब जो हो रहा है, कल जो हुआ है, उसे गंभीरता से लिए बिना हम संसदीय लोकतंत्र को रक्षित नहीं कर पाएंगे. अब बालक बुद्धि कहकर के इन हरकतों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. इसके पीछे इरादे नेक नहीं, गंभीर खतरे के हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि देश ने विकास के रास्ते को चुना है, देश को समृद्धि का एक नया सफर शुरू करना है, ऐसे समय में ये देश का दुर्भाग्य है कि छह दशक तक राज करने वाली पार्टी अराजकता फैलाने में जुटी हुई है. ये दक्षिण में जाकर उत्तर के खिलाफ बोलते हैं. इन्होंने भाषा के आधार पर बांटने की हर कोशिश की है. जिन नेताओं ने भाषा के आधार पर एक हिस्से को देश से अलग करने की बात कही थी, उसे टिकट देकर कांग्रेस ने पाप किया है.
कांग्रेस एक जाति को दूसरी जाति से लड़ाने का प्रयास कर रही है. एक हिस्से के लोगों को दूसरे हिस्से के लोगों से हीन बताकर अराजकता फैलाने का प्रयास कर रही है. आर्थिक आधार पर भी राज्यों में अराजकता फैलाने का काम कर रहे हैं. जिस तरह से उनके राज्यों में कदम उठा रहे हैं, वह रास्ता आर्थिक अराजकता की ओर जाने वाला है. इनके राज्य देश पर बोझ न बन जाएं. मंचों से घोषणा की गई कि चार जून को अगर इनके मनमुताबिक परिणाम नहीं आए तो आग लगा दी जाएगी. ये इनका मकसद है.
सीएए को लेकर जो अराजकता फैलाई गई, देश के लोगों को गुमराह करने का जो खेल खेला गया, पूरा इकोसिस्टम इस बात पर बल देता रहा ताकि उनके राजनीतिक मकसद पूरे हों. दंगों में झोकने के कुत्सित प्रयास देश ने देखे हैं, आजकल सिम्पैथी गेन करने का एक नई ड्रामेबाजी शुरू की गई है. नया खेल खेला जा रहा है. एक किस्सा सुनाता हूं. एक बच्चा स्कूल से आया और जोर-जोर से रोने लगा. उसकी मां भी डर गई क्या हो गया. वह कहने लगा मां मुझे स्कूल में मारा गया. आज उसने मारा, इसने मारा और रोने लगा. मां ने बात पूछी तो बता नहीं रहा था. बच्चा ये नहीं बता रहा था कि उस बच्चे ने किसी बच्चे को मां की गाली दी थी, किताबें फाड़ दी थी, टीचर को चोर कहा था, किसी का टिफिन चुराकर खा गया था. हमने कल सदन में यही बचकाना हरकत देखी है. कल यहां बालक बुद्धि का विलाप चल रहा था.
पीएम मोदी ने कहा कि 1984 के बाद देश में 10 चुनाव हुए हैं और 10 चुनावों में कांग्रेस ढाई सौ का आंकड़ा नहीं छू पाई है. इस बार ये किसी तरह 99 के फेर में फंसे हैं. मुझे एक किस्सा याद आता है. 99 मार्क्स लेकर एक व्यक्ति घूम रहा था और दिखाता था कि देखो 99 मार्क्स आए हैं. लोग भी शाबासी देते थे. टीचर आए और कहा कि किस बात की बधाई दे रहे हो. ये सौ में से 99 नहीं लाया. ये 543 में से 99 लाया है. अब बालक बुद्धि को कौन समझाए. कांग्रेस के नेताओं ने बयानों में बयानबाजी ने शोले फिल्म को भी पीछे छोड़ दिया है. आप सबको शोले फिल्म की मौसीजी याद होंगी. तीसरी बार तो हारे हैं पर मौसी मोरल विक्ट्री तो है न. 13 राज्यों में जीरो सीटें आई हैं. अरे मौसी 13 राज्यों में जीरो सीटें आई हैं पर हीरो तो हैं न. अरे पार्टी की लुटिया तो डुबोई है. अरे मौसी पार्टी अभी भी सांसें तो ले रही है. कांग्रेस के लोगों को कहूंगा कि जनादेश को फर्जी जीत के जश्न में मत दबाओ. फर्जी जीत के नशे में मत डुबाओ.
ईमानदारी से जनादेश को समझने की कोशिश करो, उसे स्वीकार करो. मुझे नहीं पता कि कांग्रेस के जो साथी दल हैं, उन्होंने इस चुनाव का विश्लेषण किया है कि नहीं किया है. ये चुनाव इन साथियों के लिए भी एक संदेश है. अब कांग्रेस पार्टी 2024 से एक परजीवी कांग्रेस के रूप में जानी जाएगी. 2024 से जो कांग्रेस है, वो परजीवी कांग्रेस है और परजीवी वो होता है जो जिस शरीर के साथ रहता है, उसी को ही खाता है. कांग्रेस भी जिस पार्टी के साथ गठबंधन करती है, उसी के वोट खा जाती है और अपनी सहयोगी पार्टी की कीमत पर वो फलती-फूलती है और इसीलिए कांग्रेस, परजीवी कांग्रेस बन चुकी है. यह तथ्यों के आधार पर कह रहा हूं. आपके माध्यम से सदन और सदन के माध्यम से देश के सामने कुछ आंकड़े रखना चाहता हूं. जहां-जहां बीजेपी-कांग्रेस की सीधी फाइट थी, जहां कांग्रेस मेजर पार्टी थी, वहां कांग्रेस का स्ट्राइक रेट सिर्फ 26 परसेंट है.
लेकिन जहां वो किसी का पल्लू पकड़ के चलते थे, ऐसे राज्यों में उनका स्ट्राइक रेट 50 परसेंट है. कांग्रेस की 99 सीटों में से ज्यादातर सीटें उनके सहयोगियों ने जिताया है और इसलिए कह रहा हूं कि परजीवी कांग्रेस है. 16 राज्यों में कांग्रेस जहां अकेले लड़ी, वोट शेयर गिर चुका है. गुजरात, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश, तीन राज्यों में जहां कांग्रेस अपने दम पर लड़ी और 64 में से सिर्फ दो सीट जीत पाई है. इसका साफ मतलब है कि इस चुनाव में कांग्रेस पूरी तरह परजीवी बन चुकी और अपने सहयोगी दलों के कंधे पर चढ़कर के सीटों का आंकड़ा बढ़ाया है. कांग्रेस ने अपने सहयोगियों के जो वोट खाए हैं, न खाए होते तो लोकसभा में उनके लिए इतनी सीटें जीत पाना भी बहुत मुश्किल था
Compiled by up18News