किसानों और गांधी पर टिप्पणी: भाजपा सांसद कंगना रनौत के मामले में रिवीजन याचिका स्वीकार, 30 जून को सुनवाई

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आगरा। फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। किसानों के विरोध प्रदर्शन और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ विवादित टिप्पणियों के मामले में राष्ट्रद्रोह और किसानों के अपमान का आरोप झेल रहीं कंगना को अब जिला अदालत से नोटिस जारी हुआ है। जिला जज संजय कुमार मलिक ने अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा द्वारा दाखिल रिवीजन को पोषणीय मानते हुए स्वीकार किया और 30 जून 2025 को सुनवाई की अगली तारीख तय की है।

वरिष्ठ अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने अपने परिवाद में आरोप लगाया था कि कंगना ने दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों को हत्यारा, बलात्कारी और अलगाववादी बताया। महात्मा गांधी के अहिंसात्मक सिद्धांतों का उपहास उड़ाते हुए कहा कि “गाल पर चांटा खाने से आजादी नहीं मिलती, वह भीख थी। कंगना का यह भी कहना था कि असली आजादी 2014 में मिली, जब मोदी सरकार सत्ता में आई।

श्री शर्मा ने इसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, शहीदों और राष्ट्रपिता का गंभीर अपमान बताते हुए कंगना के खिलाफ राजद्रोह का अपराध माना।

11 सितंबर 2024 को एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश अनुज कुमार सिंह ने यह कहते हुए परिवाद खारिज कर दिया था कि वादी अधिवक्ता या उनके परिवारजन धरने में शामिल नहीं थे।

केंद्र सरकार या किसी सक्षम प्राधिकारी से पूर्वानुमति नहीं ली गई।

वादी महात्मा गांधी के परिवार से नहीं हैं, इसलिए उन्हें अपमान की शिकायत का अधिकार नहीं।

जिला अदालत में रिवीजन दाखिल करते हुए रमाशंकर शर्मा ने तीन मुख्य तर्क दिए-

-काले कृषि कानूनों से वह स्वयं और उनका कृषक परिवार प्रभावित हुआ था, इसलिए उन्हें कानूनी हस्तक्षेप का अधिकार है।

-कंगना के बयान जनता के बीच दिए गए थे, न कि संसद में, इसलिए उनके खिलाफ परिवाद दाखिल करने के लिए पूर्वानुमति आवश्यक नहीं।

-महात्मा गांधी पूरे राष्ट्र के पिता हैं, किसी एक परिवार के नहीं, और देश की आजादी भीख नहीं संघर्ष का फल है।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जिला जज ने रिवीजन को स्वीकार कर कंगना को नोटिस जारी कर दिया है। अगली सुनवाई 30 जून 2025 को होगी। वादी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अमीर अहमद, रामदत्त दिवाकर, दुर्ग विजय सिंह भैया, राकेश नौहवार, सुमंत चतुर्वेदी, बीएस फौजदार, अजय सिंह सहित दो दर्जन से अधिक वकीलों ने बहस की।

कंगना के खिलाफ रद्द हो चुका केस अब रिवीजन के जरिए पुनर्जीवित हो चुका है। अदालत ने माना है कि वाद न्यायिक दृष्टि से सुनवाई योग्य है। कंगना को अब अपनी बात अदालत के सामने रखनी होगी। यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राष्ट्रसम्मान के बीच सीमा रेखा की परीक्षा भी बनता जा रहा है।

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