आगरा शहर की सफाई सिर्फ कागजों पर, हुई कार्यवाही से जा रहा सन्देश ?

स्थानीय समाचार

ये सवाल इसलिए क्योंकि आगरा नगर निगम द्वारा की गई एक छोटी सी पड़ताल ने बड़े-बड़े दावों की पोल खोल दी है। रोड डिवाइडरों पर धूल और गंदगी का ढेर मिला। क्या ये वही शहर है, जहां आने वाले मेहमान ताज का दीदार करने आते हैं? ऐसा लगता है, हमारी व्यवस्था ने अपनी आँखें मूंद ली हैं।

सहायक नगर आयुक्त अशोक प्रिय गौतम ने मैकेनिकल स्विपिंग का ठेका लेने वाली फर्म राज राजेश्वरी पर कार्रवाई की सिफारिश की है। एक लाख रुपये का जुर्माना! क्या एक लाख रुपये का जुर्माना इस गंदगी को साफ कर पाएगा, जो हमारी आंखों को चुभ रही है और हमारे शहरों को बीमार कर रही है?

मशीनों का खेल या सिर्फ कमीशन का खेल?

फर्म राज राजेश्वरी को शहर के 8 प्रमुख मार्गों पर मैकेनिकल स्विपिंग मशीनों से सफाई का जिम्मा मिला है। लेकिन सहायक नगर आयुक्त के निरीक्षण ने जो बताया, वो चौंकाने वाला है। डिवाइडर के किनारे न केवल धूल और गंदगी जमी थी, बल्कि कई स्थानों पर घास और पेड़ भी उग आए थे। क्या यही है मशीनी सफाई का कमाल? साफ दिख रहा है कि या तो मशीनों का इस्तेमाल हुआ ही नहीं, या फिर सिर्फ दिखावे के लिए हुआ।

जनता के पैसे का ये कैसा दुरुपयोग है? क्या ये सिर्फ ठेकेदारी और कमीशन का खेल है, जहां सफाई का नाम सिर्फ एक बहाना है?

हर मोड़ पर गंदगी का मंजर

निरीक्षण के दौरान जिन जगहों पर गंदगी मिली, वो सोचने पर मजबूर करती हैं। पूर्व मेयर नवीन जैन के आवास के पास का रोड, बापूजी चौराहा, प्राची टावर – ये सब शहर के अहम हिस्से हैं। अगर इन जगहों पर ये हाल है, तो गली-मोहल्लों का क्या हाल होगा? डिवाइडर के पास फैली धूल और जमा कचरा साफ चीख-चीख कर कह रहा है कि मैकेनिकल स्विपिंग मशीनें सिर्फ शोपीस बनकर रह गई हैं। क्या ये हमारी संवेदनहीनता नहीं है कि हम अपने शहर को ही गंदा कर रहे हैं?

निर्देश, चेतावनी या सिर्फ लीपापोती?

इस लापरवाही पर सहायक नगर आयुक्त ने सफाई निरीक्षक को डिवाइडरों से घास और पेड़ हटाने के निर्देश दिए हैं। ताकि आगे मशीनों से सफाई में कोई बाधा न आए। नगर निगम प्रशासन ने बड़े-बड़े बोल बोले हैं कि सफाई कार्य में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी, और भविष्य में भी इस तरह की खामियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

क्या वाकई ऐसा होगा? या ये सिर्फ एक और लीपापोती है? हर बार ऐसी खबरें आती हैं, कार्रवाई की बातें होती हैं, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात। जब तक जवाबदेही तय नहीं होगी, जब तक सिर्फ फाइलों में नहीं, बल्कि जमीन पर काम नहीं होगा, तब तक आगरा ऐसे ही धूल और गंदगी में लिपटा रहेगा। ये सिर्फ एक खबर नहीं, ये हमारे सिस्टम की नाकामी है।

-मोहम्मद शाहिद की कलम से

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