शहरवासियों ने उठाया यमुना को जीवंत करने का बीड़ा, आगरा में ऐतिहासिक स्वच्छता अभियान ने दिखाया नया रास्ता

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आगरा नगर निगम और रिवर कनेक्ट कैंपेन के आह्वान पर चले विशेष सफाई अभियान में बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक जुटे

आगरा (बृज खंडेलवाल): कभी आगरा की जीवनरेखा कही जाने वाली यमुना नदी वर्तमान में जीवन और मृत्यु के बीच झूलती एक व्यथित कथा बन चुकी है। काले-भूरे जल की सतह पर तैरता प्लास्टिक, किनारों पर जमी बदबूदार सिल्ट और गाद, और हर ओर फैला कचरा – यह वही यमुना है जो कभी ताजमहल की पवित्र छाया में शांत और गर्व से बहती थी। लेकिन आज उसका यह रूप, न केवल पर्यावरणविदों को, बल्कि हर जागरूक नागरिक को भीतर तक झकझोर देता है।

यमुना सिर्फ एक नदी नहीं, यह आगरा की सांसों में बसी एक सभ्यता है, जिसका प्रवाह अब कचरे और नालों के गंदे पानी में थमने को है। यह स्थिति केवल शर्मनाक ही नहीं, खतरनाक भी है। यदि अभी नहीं चेते, तो यह नदी इतिहास की एक पीली तस्वीर बनकर रह जाएगी।

इन्ही चिंताओं के बीच आगरा में रविवार की सुबह यमुना किनारे एत्मादुद्दौला व्यू पॉइंट आरती स्थल पर कुछ अलग ही नज़ारा था। सैकड़ों लोग हाथों में झाड़ू और कचरे की टोकरियां लिए, गंदगी से जूझती यमुना को नया जीवन देने निकले हुए थे। यह कोई साधारण सफाई नहीं, बल्कि जनसंकल्प की एक ऐतिहासिक मिसाल थी, जिसने नदी के पुनर्जीवन की उम्मीद जगाई है। रिवर कनेक्ट कैंपेन और नगर निगम के संयुक्त प्रयास से चले इस अभियान में लोगों के सहयोग से करीब 25 ट्रैक्टर ट्रॉली कचरा यमुना तल से हटाया गया।

यह वृहद सफाई अभियान प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि एक ठोस और ज़मीनी पहल थी, जिसमें यमुना को फिर से जीवन देने के लिए हजारों हाथों ने संकल्प भी लिया। इस अभियान में स्कूली बच्चे, आम नागरिक और विभिन्न सामाजिक संगठनों के सदस्य भी जुड़े। सभी ने कंधे से कंधा मिलाकर यमुना की तलहटी से कचरा हटाया।

सबसे अच्छी बात ये थी कि मंडलायुक्त शैलेंद्र कुमार सिंह, नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल और सहायक नगरायुक्त अशोक गौतम लोगों का उत्साह बढ़ाने के लिए स्वयं इस अभियान में मौजूद रहे। नगर निगम की टीमें, सफाईकर्मी, सामाजिक संस्थाएं और स्कूलों के बच्चे सबने यमुना के लिए समर्पण दिखाया। नगर आयुक्त को अपने हाथों से कचरा उठाते देखकर लोगों का उत्साह और बढ़ गया।

मंडलायुक्त, नगर आयुक्त, सहायक नगर आयुक्त सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों के खुद मोर्चा संभाल लेने से इस अभियान का नेतृत्व प्रशासन और समाज के साझा प्रयास का उदाहरण भी बन गया। रिवर कनेक्ट कैंपेन के मार्गदर्शक ब्रज खंडेलवाल, श्रीमती पद्मिनी, डॉ. शम्मी कालरा, पवन गुप्ता और राकेश गुप्ता भी मौके पर रहकर सफाई अभियान में जुटे लोगों की हौसला अफजाई करते रहे। स्थानीय पार्षद अनुराग चतुर्वेदी अपनी टीम के साथ कचरा उठाते दिखे।

कभी आगरा की जीवनरेखा कही जाने वाली यमुना आज प्रदूषण और उपेक्षा के चलते दम तोड़ती नजर आती है। इंडिया राइजिंग और संस्कृति फाउंडेशन जैसी संस्थाओं और विभिन्न स्कूलों के बच्चों ने इस अभियान को आंदोलन का रूप दे दिया। इसका नतीजा यह रहा कि लगभग दो घंटे में ही करीब 25 ट्रैक्टर कचरा यमुना की तलहटी से हटाने में कामयाबी मिल गई। बच्चों की मुस्कान और नागरिकों की आंखों की चमक ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह सफाई मात्र नहीं थी, यह एक नई चेतना का जन्म था। एक ऐसा संकेत, कि यमुना को बचाया जा सकता है,बस दृढ़ इच्छा शक्ति की ज़रूरत है।

रिवर कनेक्ट कैंपेन के संयोजक ब्रज खंडेलवाल ने नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल को यमुना किनारे बने एक कुंड का निरीक्षण कराया, जिसमें स्वच्छ जल था। यह उदाहरण साबित करता है कि डिसिल्टिंग, स्थायी कुंडों की संरचना और पीरियॉडिक क्लीनिंग से यमुना को पुनर्जीवन मिल सकता है।

नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल ने जानकारी दी कि नालों पर ऑटोमैटिक मैकेनिकल बैरियर्स लगाए जा रहे हैं और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) की योजना पर भी काम चल रहा है। लेकिन यह भी साफ कहा कि जब तक गंदा जल नदी में गिरना बंद नहीं होगा, तब तक सफाई अधूरी ही रहेगी।

यमुना आरती स्थल पर मौजूद महंत पं. जुगल किशोर ने कहा कि अगर हर महीने एक बार भी ऐसी सामूहिक सफाई हो तो यमुना को पुनर्जीवन मिल सकता है।

रिवर कनेक्ट कैंपेन की ओर से यह सुझाव भी दिया गया कि इस बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) का आयोजन यमुना के किनारे तलहटी में किया जाए। यह कदम स्वच्छता और संस्कृति, दोनों को जोड़ने वाला साबित होगा।

यमुना पर्यावरणविद् डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य ने कहा कि यमुना सिर्फ जल नहीं, हमारी संस्कृति और चेतना का स्रोत है। इसे बचाना सरकार का ही नहीं, हर नागरिक का नैतिक कर्तव्य है।

रिवर कनेक्ट कैंपेन ने अभियान में जुटे नागरिकों, विद्यार्थियों, स्वयंसेवकों और नगर निगम की टीमों को इस ऐतिहासिक भागीदारी के लिए दिया और कहा कि इस इस ऊर्जा को बनाए रखने की जरूरत है। अगर हम हर तीज-त्योहार या महीने में एक बार भी यमुना की सफाई को परंपरा बना दें, तो यह नदी फिर से आगरा की धड़कन बन सकती है।

-up18News

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