चीन का महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन फेल, कक्षा तक पहुंचने में नाकाम हुए दो सैटेलाइट

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चीन के महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन को उस समय झटका लगा, जब चांद के लिए लॉन्च हुआ उसके दो सैटेलाइट अपनी कक्षा में पहुंचने में नाकाम हो गए। बीजिंग के हाई प्रोफाइल अंतरिक्ष प्रोग्राम में इसे बड़ी चूक माना जा रहा है। चीन की सरकारी न्यूज़ एजेंसी शिन्हुआ ने लॉन्च के फेल होने की जानकारी दी है।

रिपोर्ट के मुताबिक रॉकेट डीआरओ-ए और बी उपग्रह को उसकी निर्दिष्ट कक्षा में स्थापित करने में विफल रहा। इस समस्या का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। फिलहाल ये नहीं पता चल पाया है कि अंतरिक्ष यान और उनके मिशन को बचाया जा सकता है या नहीं। ये भी अज्ञात है कि उपग्रह इस समय अंतरिक्ष में किस जगह पर है।

सैटेलाइट को 13 मार्च बुधवार को शाम 8.51 बजे शिनचांग लॉन्च सेंटर से लॉन्ग मार्च 2सी रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया था। गुरुवार सुबह तक रॉकेट में किसी गड़बड़ी का कोई पता नहीं चला था, तभी शिन्हुआ ने मिशन के बारे में जानकारी दी। शिन्हुआ ने बताया कि रॉकेट का पहला और दूसरा चरण सही से चला, लेकिन इसका ऊपरी चरण ने ठीक से काम नहीं किया। शिन्हुआ ने ये नहीं बताया कि डीआरओ-ए और बी किस तरह के सैटेलाइट थे। ऐसा माना जाता है कि इस जोड़ी का उद्येश्य चंद्रमा के चारों ओर एक दूरस्थ प्रतिगामी कक्षा (डीआरओ) में प्रवेश करना था।

क्यों खास था ये मिशन?

मिशन को जिस डीआरओ ऑर्बिट में स्थापित किया जाना था, वो चंद्रमा की सतह से हजारों किलोमीटर ऊपर ऊंचाई पर है। यह अत्यधिक स्थिर है, जो अंतरिक्ष यान को ईंधन का उपयोग किए बिना लंबे समय तक ट्रैक पर रहने की अनुमति देता है। चीनी वैज्ञानिकों के अनुसार अनुसंधान और अन्वेषण के लिए ये काफी फायदेमंद है।

स्पेस न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक डीआरओ-ए और बी सैटेलाइट को डीआरओ-एल नाम के एक दूसरे सैटेलाइट से संचार स्थापित करने के लिए डिजाइन किया गया है। डीआरओ-एल पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करने के लिए डिजाइन है। चीन ने डीआरओ-एल को फरवरी में जिलॉन्ग-3 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया था।

आगे क्या है संभावना?

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक बीजिंग स्थित एक रॉकेट इंजीनियर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि रॉकेट का इंजन संभवत: बुधवार को खराब हो गया। इंजीनियर ने कहा, “तकनीकी रूप से दोनों सैटेलाइट के लिए अभी भी आगे की कक्षाओं में जाने के लिए अपने स्वयं के प्रोपैलैंट का उपयोग करने का मौका है। हालांकि इससे मिशन का जीवनकाल काफी कम हो जाएगा।”

-एजेंसी

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