इथोपिया में चीन की पोल खुली, 475 मिलियन डॉलर का लाइट रेल सिस्टम फेल

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चीन ने बीते कुछ सालों में दुनिया के कई देशों को बड़े स्तर पर कर्ज बांटे हैं तो कई देशों में अलग-अलग प्रोजेक्ट के जरिए निवेश किया है। एशिया में चीन के पड़ोसी देशों में कई बार बीजिंग की नीतियों पर सवाल उठता रहा है। अब अफ्रीका में भी चीन की पोल खुल रही है।

पूर्वी अफ्रीका के देश इथोपिया में चीन के बनाए प्रोजेक्ट ने उसकी सच्चाई दुनिया के सामने ला दी है। इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा में 475 मिलियन डॉलर की लाइट-रेल प्रणाली ने दिखाया है कि कैसे पूरे महाद्वीप में चीन की फंड की योजनाएं फेल हो रही हैं।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक एक दशक पहले अदीस अबाबा में लाइट-रेल प्रणाली को शहर की परिवहन समस्याओं से निपटने के लिए क्रांतिकारी समाधान की तरह देखा गया था। इस प्रणाली के जरिए एक घंटे में 60,000 यात्रियों को लाने का दावा किया गया था। ये प्रोजेक्ट चीन द्वारा वित्त पोषित बुनियादी ढांचे के निवेश के टूटे हुए वादों की याद दिलाता है।

चीन के इस तरह के प्रोजेक्ट ने इथोपिया ही नहीं पूरे अफ्रीका को बीते कुछ सालों में प्रभावित किया है। प्रोजेक्ट में बार-बार खराबी, मेंटिनेंस में अनदेखी और परिचालन संबंधी बाधाएं रोजाना की बात हो गई है। इसकी 41 ट्रेनों में से बमुश्किल एक-तिहाई ट्रेनें परिचालन में हैं, जो एक दिन में 55,000 यात्रियों को ले जाती हैं।

वादों पर खरी नहीं उतरी मेट्रो

चीनी प्रोजेक्ट में खराबी और अनदेखी की वजह से हलचल भरे रेलवे स्टेशन अब वीरानी और उपेक्षा का माहौल दिखाते हैं। शहर के करीब 40 लाख निवासियों की परिवहन को लेकर जो आशा थीं, उनको भी ये तोड़ते हैं। रखरखाव ना मिलने की वजह से निष्क्रिय ट्रेनें रेलवे के गैरेज में पार्क हैं, जो ट्रेनें चलती हैं उनमें अत्यधिक भीड़ होने के कारण कई यात्रियों को आने-जाने के लिए नए रास्ते तलाशने पर मजबूर होना पड़ता है। ट्रेन के लिए प्रतीक्षा समय अब 20 से 25 मिनट तक बढ़ रहा है, जो शुरुआती दिनों में सेवाओं के बीच छह मिनट से चार गुना अधिक है। इससे धीरे-धीरे यात्री इससे दूर हो रहे हैं।

इथोपिया के वित्त मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि लाइट रेल उन 70 मेगा परियोजनाओं में से एक है, जिसे इथियोपिया ने 2006 और 2018 के बीच चीनी सरकार और संबंधित वित्तीय संस्थानों से 14.8 बिलियन डॉलर के ऋण के साथ शुरू किया था। इनमें इथियोप‍िया-जिबूती रेलवे का निर्माण, एक हवाई अड्डे का विस्तार और प्रमुख सड़क-बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शामिल हैं।

चीन के कर्ज जाल में फंस रहे अफ्रीकी देश

केन्या से नाइजीरिया और उससे आगे तक चीन ने पिछले एक दशक में पूरे अफ्रीका और तथाकथित ग्लोबल साउथ के अन्य हिस्सों में अमेरिकी प्रभाव का मुकाबला करने, अपने उत्पादों के लिए बाजार बनाने और पहुंच हासिल करने के अपने अभियान के तहत अरबों का ऋण दिया है।

अमेरिका समेत कई देश कहते रहे हैं कि चीन एक तरह का कर्ज जाल फैला रहा है। इथोपिया की सबसे बड़ी चिंता इस परियोजना की अपने ऋण को चुकाने में असमर्थता है।
चीन-अफ्रीका संबंधों और अफ्रीका में चीनी-वित्त पोषित परियोजनाओं का अध्ययन करने वाले यूके ओपन यूनिवर्सिटी के विकास नीति और अभ्यास समूह में वैश्विक विकास के व्याख्याता फ्रैंग्टन चियेमुरा का कहना है कि परियोजना ने दीर्घकालिक परिचालन स्थिरता पर अल्पकालिक राजनीतिक लक्ष्यों को प्राथमिकता दी हो सकती है।

चियेमुरा ने कहा कि परियोजना में रखरखाव कार्य, स्पेयर पार्ट्स और परियोजना को स्थायी रूप से चलाने के लिए आवश्यक स्थानीय कौशल सहित जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त व्यवस्था थी। उन्होंने इथियोपियाई मेट्रो के समकक्ष नाइजीरिया में एक मानक-गेज, चीन समर्थित रेलवे का हवाला दिया, जिससे सरकार पर बुनियादी ढांचे और उससे जुड़ी रखरखाव लागत का बोझ बढ़ गया।

अदीस अबाबा के अधिकारी अब बदलाव के लिए समाधान तलाश रहे हैं। अदीसा के अफसर कार्यक्षमता में सुधार करने के बारे में सिफारिशें प्रदान करने के लिए एक सलाहकार की तलाश कर रहे हैं। वहीं चीनी सरकार ने खराब ट्रेनों की मरम्मत करके समर्थन देने का वादा किया है। पिछले साल चीन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें इकाइयों को बनाए रखने के लिए 23 मिलियन डॉलर के सैकड़ों स्पेयर पार्ट्स और अतिरिक्त सात ट्रेनें देने की बात कही गई है।

-एजेंसी

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