पांच किलोमीटर की ‘लक्ष्मण रेखा’ और न्याय का ‘मोतियाबिंद: बीजेपी पूर्व विधयाक कुलदीप सेंगर रेपिस्ट की सज़ा पर रोक

आज की तारीख में, जब हम और आप अपनी रोजमर्रा की जिंदगी की जद्दोजहद में मसरूफ हैं, दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले ने भारतीय न्याय व्यवस्था, राजनीतिक रसूख और एक पीड़िता के अंतहीन डर के बीच के रिश्तों को एक बार फिर नंगा कर दिया है। कल अखबारों के पन्नों पर यह खबर एक सामान्य […]

Continue Reading

आगरा पुलिस ने मारते मारते तोड़े दो पैर और पांच डंडे, मानवाधिकार के नियमो को पूछने वाला कोई नही ?

​जब हम आगरा का नाम लेते हैं, तो जेहन में एक ही तस्वीर उभरती है। सफेद संगमरमर की वो इमारत, जिसे दुनिया मोहब्बत की निशानी कहती है। लेकिन आज हम जिस आगरा की बात करने जा रहे हैं, वहां मोहब्बत नहीं, बल्कि खौफ का रंग गहरा है। यह रंग संगमरमर जैसा सफेद नहीं, बल्कि खाकी […]

Continue Reading

आगरा में बीस साल का इंतज़ार: न स्टेडियम मिला, न स्पोर्ट्स कॉलेज को जमीन

आगरा: इसे आगरा का दुर्भाग्य कहा जाए या व्यवस्था की उदासीनता, जहां एक ओर पिछले करीब बीस वर्षों से अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम की मांग सरकारी फाइलों में उलझी पड़ी है, वहीं दूसरी ओर शासन से स्वीकृत स्पोर्ट्स कॉलेज के लिए भी अब तक जमीन तय नहीं हो सकी है। खेलों के विकास की बात करने वाली […]

Continue Reading

नियमों का चश्मा और संवेदनहीन व्यवस्था: जब दृष्टिबाधित बच्चों पर सबसे पहले चला डंडा

आगरा में शिक्षा विभाग ने जब “कानून का चश्मा” पहनने का फैसला किया, तो उम्मीद थी कि अब फर्जी स्कूलों, अवैध कॉलेजों और शिक्षा के नाम पर चल रही दुकानों पर कार्रवाई होगी। लेकिन अफसोस, यह चश्मा भी उसी तरह निकला, जैसा अक्सर हमारे सिस्टम में होता है—कुछ को साफ दिखाने वाला और कुछ को […]

Continue Reading

‘राम के नाम पर गरीबों को सजा’: मनरेगा की जगह नए कानून की तैयारी, गांधी नाम हटाने पर सियासी घमासान

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा को समाप्त कर उसकी जगह नया रोजगार कानून लाने की तैयारी को लेकर सियासी विवाद गहराता जा रहा है। आरोप है कि प्रस्तावित कानून में महात्मा गांधी का नाम हटाया जा रहा है और इसके जरिए राज्यों व गरीबों पर अतिरिक्त बोझ डाला जाएगा। विपक्ष ने इसे “रोजगार के […]

Continue Reading

आगरा के लिये स्पोर्ट्स कालेज मंजूर और अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम के लिये प्रयास तेज

खिलाड़ियों के लिये ताजनगरी बन जाएगी सपनों को उड़ान प्रदान करने वाली नगरी एल एस बघेल, आागरा, 15 दिसंबर। ताजनगरी में स्पोर्ट्स कालेज मंजूर हो गया है लेकिन इसके लिये जगह नहीं मिल पा रही है। जबकि अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम के लिये जगह उपलब्ध है लेकिन उसके लिये सरकार से मंजूरी नहीं मिल पा रही है। […]

Continue Reading

हरियाणा में टोल की मार: सबसे कम दूरी…सबसे ऊँची वसूली; व्यवस्था पर ठोस सवाल

डॉ सत्यवान सौरभ जब गुजरात जैसा बड़े आकार वाला प्रदेश पीछे रह जाए और छोटा हरियाणा टोल वसूली में सबसे आगे हो—तो यह महज संयोग नहीं, नीतिगत असंतुलन का संकेत है लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में वह सच सामने आया जिसे हरियाणा के लोग वर्षों से महसूस कर रहे थे—टोल की […]

Continue Reading

अरावली की सिकुड़ती ढाल और दिल्ली का डूबता पर्यावरण

अरावली संरक्षण के दायरे को 100 मीटर की परिभाषा से सीमित कर देना—दिल्ली-एनसीआर की हवा, पानी और तापमान के लिए एक गहरी पर्यावरणीय चोट। डॉ सत्यवान सौरभ भारत के उत्तरी भूगोल में अरावली केवल एक पर्वतमाला नहीं, बल्कि एक जीवित पारिस्थितिक दीवार, एक भूजल भंडार, एक शीतलन तंत्र और एक धूल-रोधी प्राकृतिक ढाल के रूप […]

Continue Reading

धुंध में घिरा उत्तर भारत: यमुना मदद की पुकार में, दिल्ली के सत्ता गलियारों में अब भी सन्नाटा

बृज खंडेलवाल उत्तर भारत इस समय घने कोहरे और जहरीली हवा की चादर में लिपटा है। कई शहरों में हालात इतने गंभीर हैं कि सुबह की धुंध के बीच ताजमहल तक धुंधला पड़ जाता है। सांस लेते ही सीने में जलन महसूस होती है, और इसके पीछे खड़ी है लगातार बिगड़ती हवा और तेजी से […]

Continue Reading

सड़को पर मौत की रफ्तार, सड़क सुरक्षा पर गाल बजाती सरकार

प्रियंका सौरभ स्वतंत्र पत्रकार, कवयित्री और व्यंग्यकार भारत की सड़कों पर हर दिन लगभग चार सौ लोग अपनी जान गंवाते हैं। यह आँकड़ा किसी आपदा या महामारी से नहीं, बल्कि हमारी सड़कों पर व्याप्त अव्यवस्था और लापरवाही से जुड़ा है। अनेक योजनाएँ, अभियान और कानून बनने के बावजूद भारत आज भी दुनिया के सबसे अधिक […]

Continue Reading