दोहरे मापदंड: महंगाई में पिसती जनता, राहत में नहाते सांसद, कर्मचारियों के लिए 2% वृद्धि ऊंट के मुंह में जीरा

प्रियंका सौरभ सरकार ने जहां सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (DA) में मात्र 2% की वृद्धि की, वहीं सांसदों के भत्तों और वेतन में 24% की बढ़ोतरी कर दी। यह विरोधाभास कर्मचारियों और जनता में नाराजगी पैदा कर रहा है। कर्मचारियों के लिए 2% DA वृद्धि ऊंट के मुंह में जीरा समान। सांसदों को पहले […]

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घूंघट की आड़ से दिलबर का दीदार…क्या सचमुच सिमट रही है दामन की प्रतिष्ठा?

प्रियंका सौरभ समय के साथ परिधान और समाज की सोच में बदलाव आया है। पहले “दामन” केवल वस्त्र का टुकड़ा नहीं, बल्कि मर्यादा और संस्कृति का प्रतीक माना जाता था। पारंपरिक वस्त्रों—साड़ी, घाघरा, अनारकली—को महिलाओं की गरिमा से जोड़ा जाता था। “दामन की प्रतिष्ठा” अब भी बनी हुई है, परंतु उसकी परिभाषा बदल चुकी है। […]

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भारत में गर्मी का जल्दी आना और लू का बढ़ना डालेगा श्रम उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा पर असर!

डॉ सत्यवान सौरभ बढ़ते तापमान से कृषि, जल संकट, सार्वजनिक स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। फरवरी में असामान्य रूप से अधिक गर्मी, रात के तापमान में वृद्धि, समुद्री तापमान का असर और शहरी हीट आइलैंड प्रभाव इस समस्या को और गंभीर बना रहे हैं। इसका असर शिक्षा, श्रम उत्पादकता और खाद्य […]

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यमुना में क्रूज पर्यटन बढ़ायेगा और करेगा नदी को पुनर्जीवित, आगरावासियों ने किया स्वागत

अंततः आगरा के लिए एक अच्छी खबर आ ही गई। आगरा में पर्यटकों के लिए क्रूज सेवा के रूप में नए अध्याय का आगाज़ होने जा रहा है। यह पहल स्थानीय लोगों को तो सशक्त बनाएगा ही, यमुना को भी पुनर्जीवित करेगा। आखिरकार आगरा और यमुना नदी के लिए एक अच्छी खबर सामने आ गई […]

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क्या डॉक्टर्स अपनी सुविधा के लिए बिना ज़रूरत सीज़ेरियन कर रहे हैं?

प्रियंका सौरभ यह सच है कि कुछ निजी अस्पताल अधिक मुनाफे के लिए अनावश्यक सीज़ेरियन कर रहे हैं, लेकिन सभी को दोषी ठहराना उचित नहीं होगा। समाधान के लिए महिलाओं की जागरूकता, डॉक्टरों की नैतिक ज़िम्मेदारी और सरकारी नियमों की ज़रूरत है। कुछ सवाल है जिनके जवाब सबको मिलकर ढूँढने ज़रूरी है? क्या यह महिलाओं […]

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भगत सिंह: “इंकलाब से आज तक”, क्रांति बंदूक की गोली से नहीं, बल्कि विचारों की ताकत से आती है

डॉ सत्यवान सौरभ भगत सिंह का जीवन केवल एक क्रांतिकारी गाथा नहीं, बल्कि एक विचारधारा का प्रतीक है। उनकी शहादत से पहले उनके विचारों की ताकत थी, और उनकी शहादत के बाद भी उनका प्रभाव अमर है। आज जब हम आर्थिक असमानता, सांप्रदायिकता और भ्रष्टाचार से जूझ रहे हैं, तो भगत सिंह के विचार पहले […]

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लुप्त होती हरियाणा की अनमोल विरासत रागनी कला

डॉo सत्यवान सौरभ,कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट हरियाणवी लोकसंस्कृति का एक महत्त्वपूर्ण अंग रागनी आज विलुप्ति के कगार पर है। मनोरंजन के आधुनिक साधनों के आगमन और बदलते सामाजिक परिवेश के कारण यह कला पिछड़ती जा रही है। यदि समय रहते इसके संरक्षण के प्रयास नहीं किए गए, तो आने वाली पीढ़ियों […]

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“शादी के बाद करियर: उड़ान या उलझन?”

प्रियंका सौरभ परिवारों को यह समझना होगा कि शादी का मतलब महिलाओं के करियर का अंत नहीं होता। पुरुषों को घर और बच्चों की जिम्मेदारी में बराबर भागीदारी निभानी चाहिए। कंपनियों को महिलाओं के लिए अधिक फ्लेक्सिबल जॉब ऑप्शंस देने चाहिए। करियर और शादी को विरोधी ध्रुवों की तरह देखने की बजाय उन्हें साथ ले […]

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जल दिवस विशेष: अतीत की गोद में सोए तालाब और बावड़ियाँ, बस पानी ही नहीं, कहानियों का खजाना

डॉ सत्यवान सौरभ अगर हम तालाबों और बावड़ियों को सिर्फ़ पानी जमा करने की जगह समझते हैं, तो शायद हम उनके साथ न्याय नहीं कर रहे। ये सिर्फ़ जल-स्रोत नहीं, बल्कि सदियों की कहानियों, रहस्यों, परंपराओं और लोककथाओं के ज़िंदा गवाह हैं। पुराने तालाब और बावड़ियाँ इतिहास की किताब के वह पन्ने हैं, जिन पर […]

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तलाक की भेंट चढ़ते ‘तेरे मेरे सपने’: जब सपने बिखरते हैं, प्रेम विवाह में तलाक बढ़ते हैं

प्रियंका सौरभ आजकल तलाक के बढ़ते मामलों ने समाज में एक नई चिंता को जन्म दिया है। चाहे अरेंज मैरिज हो या प्रेम विवाह, रिश्तों में दूरियाँ बढ़ने से वैवाहिक जीवन अस्थिर होता जा रहा है। तलाक सिर्फ़ दो लोगों को ही नहीं, बल्कि उनके परिवारों, बच्चों और समाज को भी प्रभावित करता है। इसलिए, […]

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