रिटायर्ड अफ़सरों के बोझ तले दबा आरटीआई का ढाँचा

डॉ सत्यवान सौरभ सेवानिवृत्त अधिकारी उन विभागों के खिलाफ निर्णय लेने में संकोच कर सकता है, जिनके लिए उन्होंने कभी काम किया था, जिससे समझौतापूर्ण फैसले होते हैं। पारदर्शिता में विशेषज्ञता की कमी एक बड़ा मुद्दा है। सेवानिवृत्त सिविल सेवकों में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक विशेष ज्ञान की कमी हो सकती है, […]

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धार्मिक समाज सुधारकों की परंपरा को बचाने की लड़ाई – एड. संजय पांडे

एड. संजय पांडे शिवगिरी मठ सभी दलों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखता है। वार्षिक शिवगिरी यात्रा के दौरान राजनीतिक दलों के नेताओं को यात्रियों को संबोधित करने का अवसर दिया जाता है। हाल के वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने यात्रियों को संबोधित किया […]

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ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस को मात दे पायेगा भारत ?

डॉ सत्यवान सौरभ भारत को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन पहलों के माध्यम से निगरानी, निदान और त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र को मजबूत करके मानव मेटान्यूमोवायरस जैसे उभरते वायरल खतरों से निपटने के लिए अपने नियामक ढांचे को बढ़ाना चाहिए। वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ-साथ वैक्सीन और एंटीवायरल अनुसंधान में निवेश से ऐसे प्रकोपों को कम करने में […]

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समीक्षा: कृष्ण कुमार यादव और आकांक्षा की युगल रचनाधर्मिता पर केंद्रित ‘सरस्वती सुमन’ का संग्रहणीय विशेषांक

हिंदी भाषा और साहित्य के विकास में आदिकाल से ही तमाम साहित्यकारों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। किसी कवि, लेखक या साहित्यकार को अगर ऐसा जीवनसाथी मिल जाए जो खुद भी उसी क्षेत्र से जुड़ा हो तो यह सोने पर सुहागा जैसी बात होती है। एक तरीके से देखा जाए तो ऐसे लेखकों या लेखिकाओं […]

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2025 में मनुष्य और तकनीक में उभरती चिंताएँ

प्रियंका सौरभ विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 2025 कहीं ज़्यादा तकनीक-चालित होगा और ज़्यादा बड़ी चुनौतियाँ पेश करेगा। लोगों के पास काफ़ी कम दोस्त होंगे, क्योंकि नियमित रूप से व्यक्तिगत संपर्क की कमी के कारण रिश्ते कम होते जा रहे हैं। मुझे लगता है कि युगल और एकल परिवार पर कुछ हद तक नव-परंपरावादी […]

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सबने देख लिया कि सच्चाई को हमेशा छुपाया नहीं जा सकता

मौन को अवगुण कमजोरी की तरह स्थापित किया और इसके सामने बड़बोलेपन को सबसे बड़े गुण की तरह पेश। लेकिन सब तूमार (फेब्रिकेशन) खत्म हो गया। इतना मीडिया इतना पैसा पूरी सत्तारुढ़ पार्टी सरकार सब फेल हो गए। शांति से मौत के आगोश में गए मनमहोन सिंह आखिरी आखिरी तक कुछ नहीं बोले। मगर उनके […]

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नया साल, नई शुरुआत: नया साल सिर्फ़ जश्न नहीं, आत्म-परीक्षण और सुधार का भी अवसर

प्रियंका सौरभ 31 दिसम्बर की आधी रात को हम 2024 को अलविदा कह देंगे और कैलेंडर 1 जनवरी यानी 2025 के नए साल के दिन के लिए अपना नया पन्ना खोलेगा। उतार-चढ़ाव, मजेदार पल और कुछ ख़ास नहीं-यह सब अब अतीत की बात हो जायेंगे। हम एक नए साल के मुहाने पर खड़े हैं, जो […]

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आधी दुनिया: परिवार से विरासत में मिले साहित्य प्रेम और माहौल से बनी लेखिका प्रियंका ‘सौरभ’

महामारी के खाली समय में लिखने की आदत डाली, अब बाज़ार में आया निबंध संग्रह ‘समय की रेत पर’। कहते है न कि बच्चों को जैसा माहौल घर में मिलता है, उनके भविष्य में उसकी छाप ज़रूर दिखती है। अगर परिवार में गायन का माहौल है तो बच्चें में गायन के गुण स्वतः आ जाते […]

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यशपाल का आजादी की लड़ाई और साहित्य में योगदान

प्रसिद्ध हिन्दी कथाकार एवं निबंधकार यशपाल का जन्म 3 दिसम्बर 1903 को फिरोजपुर (पंजाब) में हुआ था। उनके पूर्वज हिमाचल के भूम्पल गांव, हमीरपुर के रहने वाले थे। दादा गरदुराम विभिन्न स्थानों पर व्यापार करते थे और भोरंज तहसील के टिक्कर भारिया और खरवरिया के निवासी थे। पिता हीरालाल एक दुकानदार और तहसील क्लर्क थे। […]

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अटल जी के भाषणों में झलकता था अपनत्व: पूरन डावर

आज हम एक ऐसे राजनेता , राष्ट्र नेता .. महान देश भक्त जिसके रग रग में देश बसता था…। एक प्रखर वक़्ता, विशेष शैली के सृजनकर्ता की रिक्ततI को भरा नहीं जा सकता …। आज हम नेक मंशा और अटल इरादे रखने वाले भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को […]

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