बुलंदशहर/मेरठ। हमारे देश में डॉक्टरों को धरती पर भगवान का दर्जा दिया जाता है, लेकिन जब वे मरीजों का भरोसा तोड़ दें, तो इंसानियत शर्मसार हो जाती है। बुलंदशहर की कविता ने बताया कि बुखार और कमजोरी की शिकायत पर हॉस्पिटल में भर्ती हुईं। उनकी बाईं किडनी निकाल ली गई। यह मामला अवैध अंग तस्करी की ओर इशारा करता है।
मेरठ के केएमसी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के 6 डॉक्टरों पर मानव अंग तस्करी का आरोप लगा है. बुलंदशहर जिले के बुगरासी में रहने वाली एक महिला ने केएमसी हॉस्पिटल मेरठ के 6 डॉक्टरों पर उसकी किडनी निकालकर बेचने का आरोप लगाया है. महिला का आरोप है कि शिकायत करने पर डॉक्टरों ने उसके साथ मारपीट की और सभी दस्तावेज छीन लिये. नरसैना थाना पुलिस ने अदालत के आदेश पर केएमसी हॉस्पिटल मेरठ के 6 डॉक्टरों और कर्मचारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है.
कविता (43 वर्ष) पत्नी जयदेव, निवासी बुगरासी, थाना-नरसैना, बुलन्दशहर वर्ष 2017 में अचानक बीमार पड़ गयी. कविता का आरोप है कि वह अपनी बीमारी का इलाज कराने के लिए केएमसी अस्पताल बागपत रोड मेरठ में पहुंची. वहां डॉ.सुनील गुप्ता ने जांच करने के बाद ऑपरेशन कराने को कहा. कविता को अस्पताल में एडमिट कर लिया गया. 20 मई 2017 को उसका ऑपरेशन कर दिया गया. 24 मई 2017 को उसको अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया. अस्पताल से डिस्चार्ज करते समय कहा गया था कि अब वह आगे लगातार स्वस्थ होती जाएगी. कविता की दोनों किडनी व्यवस्थित कर दी गयी हैं.
5 साल बाद, 28 अक्टूबर 2022 को जब कविता ने दूसरे डॉक्टर से जांच कराई, तो पता चला कि उनकी बाईं किडनी पहले ही ऑपरेशन के दौरान निकाल ली गई थी। इस मामले में पीड़िता ने डॉ. सुनील गुप्ता और अन्य डॉक्टरों पर अवैध अंग तस्करी का आरोप लगाया है।
कविता का आरोप है कि डॉ. सुनील गुप्ता ने साथी डॉक्टर्स और अस्पताल कर्मचारी से साठगांठ करके लगातार फर्जी डाक्टरी रिपोर्ट देते रहे, जिसकी रिपोर्टों में कविता के दोनों गुर्दे को दर्शाया जाता रहा, जब कि अल्ट्रासाउंड कराने पर पता चला कि कविता की बाईं किडनी गायब है। उसे ऑपरेशन करके निकाल लिया गया है। उसे किसी को बेच दिया गया है।
यही नहीं एक अन्य प्राइवेट डॉक्टर के यहां अल्ट्रासाउंड कराया तो उसमें भी बाईं किडनी गायब पाई गई। आरोप है कि किडनी निकालने के बावजूद डॉ.सुनील गुप्ता दवा देते रहे। दवा से तबीयत ठीक होने के बजाय उल्टे बिगड़ती चली गई। इसके बाद कविता ने कोर्ट का सहारा लिया। उनकी याचिका पर ACJM-तृतीय बुलंदशहर के आदेश पर नरसैना थाने में डॉक्टर्स के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई है।
कोतवाली प्रभारी निरीक्षक चंदगीराम ने बताया कि सर्जन डॉ. सुनील गुप्ता, उनकी पत्नी डॉ .प्रतिभा गुप्ता, डॉ.अजय एन वत्स (एमडी) रेडियोलोजी, निकिता जग्गी (एमडी), डॉ. सतीश कुमार अरोरा, एमबीबीएस (एमडी), हॉस्पिटल के कर्मचारी और डॉ.सीमा वाष्णेय, एमडी वाष्णेय क्लीनिक पैथोलोजी, मेरठ के खिलाफ मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 की धारा 18, आईपीसी की धारा 120 बी,326, 506 के तहत रिपोर्ट दर्ज हुई है।
साभार सहित
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