आगरा में स्थापित होगी इंटरनेशनल पोटेटो सेंटर की ब्रांच

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कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में मण्डलीय खरीफ उत्पादकता गोष्ठी सम्पन्न

अलीगढ़, आगरा व बरेली मण्डल के प्रगतिशील किसानों ने किया प्रतिभाग

जेवर अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर बनेगा एक्सपोर्ट हब

अलीगढ़ 18 जून 2024 (सू0वि0): किसान पैदावार बढ़ाने के लिए समय से बुवाई करें। बीज को समान व सीधी लाइन में बोएं। उपचारित बीज का प्रयोग करें। खेती की जमीन का समतलीकरण कर सिंचाई ड्रिप एवं स्प्रिंकलर पद्धति से करें, इससे पैदावार तो बढ़ेगी ही बल्कि पानी की भी बचत होगी। उक्त उद्गार कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने मंडलीय खरीफ उत्पादकता गोष्टी 2024 के आयोजन के दौरान कल्याण सिंह हैबिटेट सेंटर में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश वर्ष में 600 लाख टन खाद्यान्न का उत्पादन कर रहा है। यूपी की जल, जमीन और जलवायु के साथ ही अन्नदाता किसानों का अनुभव प्रदेश को खाद्यान्न का पावर हाउस बनाता है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में जहां मात्र 10 प्रतिशत भूमि पर खेती होती है वहीं हमारे देश की जल, जमीन और जलवायु बेहतर होने के कारण 45 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 70 प्रतिशत भू-भाग पर खेती होती है। समूचे देश में 55 प्रतिशत भू-भाग प्राकृतिक सिंचाई पर निर्भर है। वहीं उत्तर प्रदेश में 86 प्रतिशत भू-भाग पर प्राकृतिक सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं। आज किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक दर पर अपने उत्पादों की बिक्री कर लाभ प्राप्त कर रहा है। प्रदेश में फूड प्रोसेसिंग इकाइयों की संख्या में खासी वृद्धि हुई है। दूसरे प्रदेशों में निर्यात को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने आगरा व अलीगढ़ के किसानों को पेरू के माचू-पिच्चू के इंटरनेशनल पोटेटो सेंटर की ही शाखा आगरा में आगामी 02-03 माह में स्थापना की सौगात देते हुए कहा कि अब आगरा व आसपास के किसानों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के पोटेटे संेटर में विशेषज्ञों का लाभ प्राप्त होगा। इसके साथ ही उन्होंने जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एक्सपोर्ट हब बनाए जाने की भी बात कही जिससे यहां से किसानों के उत्पाद कार्गाे प्लेन के माध्यम से निर्यात हो सकेंगे।

अलीगढ़ से आलू उत्तरी अमेरिका के गुआना भेजना अपने आप में यह सिद्ध करता है कि एफपीओ के माध्यम से खेती की जाए तो हम अवश्य ही नित नए कीर्तिमान स्थापित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रथम बार उत्तर प्रदेश के मलिहाबाद से विभिन्न प्रजातियों का आम अमेरिका भेजा गया है। जल एवं जलवायु को संरक्षित करने के लिए सरकार धान की साठा प्रजाति को प्रतिबंधित करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। उन्होंने खरीफ गोष्ठी के उद््देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम साल में दो बार किसान बंधुओ से सीधे तौर पर संवाद करने के साथ ही यंत्र, बीज, उर्वरकों को समय से सुनिश्चित कराते हैं। पहले सबसे बड़ा मुद््दा खाद का न मिलना होता था परंतु अब बदलते परिवेश में खाद, बीज, कीटनाशक पर्याप्त मात्रा में और समय से मिल रहे हैं।

मंडलायुक्त अलीगढ़ चैत्रा वी. ने कहा कि मंडल में सभी प्रकार के उर्वरक एवं बीज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। सभी जिलों में किसान दिवस का आयोजन कर किसानों की समस्याओं का समुचित निराकरण कराया जा रहा है। आच्छादन के तौर पर चालू वित्तीय वर्ष में 5 लाख 12 हजार 413 मीट्रिक टन का लक्ष्य है जो विगत वर्ष से 16000 से अधिक है। उत्पादकता में 27.28 प्रति हेक्टेयर और उत्पादन में 14 लाख मीट्रिक ट्रिक टन से अधिक खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। फसली ऋण एवं केसीसी पर बेहतर कार्य किया जा रहा है। खरीफ के लिए कृषि एवं अन्य संबंधित विभागों द्वारा रणनीति तैयार कर ली गई है। विद्युत विभाग से जुड़ी समस्याओं का निस्तारण कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अलीगढ़ मंडल 2008 में बना है, परंतु हाथरस एवं कासगंज में जिला कोऑपरेटिव बैंक नहीं है, उन्होंने हाथरस व कासगंज में जिला कोऑपरेटिव बैंक आरम्भ कराए जाने के साथ ही उर्वरक की रैक जोकि मथुरा एवं आगरा में लगती है उसे हाथरस किला में लगाए जाने की मांग की ताकि उर्वरक के ट्रांसपोर्टेशन चार्ज में कमी लाकर इसका सीधा लाभ किसानों को दिया जा सके। इस दौरान उन्होंने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर धान के स्थान पर अन्य फसलों को भी बोए जाने का सुझाव देने के साथ ही प्राकृतिक सिंचाई क्षेत्र बढ़ाने के लिए भी ध्यान आकर्षण कराया। कमिश्नर आगरा रितु माहेश्वरी ने कहा कि आगरा में 55 प्रतिशत बाजरा और 29 प्रतिशत धान की खेती के साथ ही मक्का एवं अन्य दलहनी फसलों की बुवाई की जाती है। इस वर्ष 11 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए 14 लाख 80 हजार मैट्रिक टन फसलों उत्पादन का लक्ष्य दिया गया है। कृषि एवं अन्य सहयोगी विभागों द्वारा खरीफ फसल के लिए सभी आवश्यक तैयारियां की गई हैं। खाद एवं कीटनाशक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। किसानों को जागरुक करतेे हुए उन्हें धीरे-धीरे बायोफर्टिलाइजर्स की तरफ बढ़ा रहे हैं। ऐसी नहरें जहां जून तक पानी पहुंचाना था, टेल फीडिंग कर दी गई है। आगरा में बड़ी संख्या में निजी नलकूपों के माध्यम से सिंचाई कार्य किया जाता है। 16000 हेक्टेयर में दलहनी एवं तिलहनी फसलंे होती हैं। मैनपुरी में 500 हेक्टेयर में काला गेहूं का उत्पादन मंडल के लिए किसी बड़े अचीवमेंट से कम नहीं है। उन्होंने काले गेहूं की मार्केटिंग को बढ़ाने पर भी विचार किए जाने की बात कही। उन्होंने मिलेट्स की खेती को बढ़ावा देने के लिए मिलेट्स ट्रेनिंग सेंटर और आलू की बुवाई के दौरान समय से पहले उर्वरक उपलब्ध कराए जाने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि इससे सीधा लाभ किसानों को प्राप्त होगा। उन्होंने निर्यात को बढ़ाने के लिए सर्टिफिकेशन का कार्य स्थानीय स्तर पर आरंभ किए जाने की भी बात की। बागवानी को प्रमोट करने के लिए कीनू और ऑरेंज के क्षेत्रफल को लक्ष्य बनाए जाने का भी सुझाव दिया।

मण्डलायुक्त बरेली सौम्या अग्रवाल ने किसानोें द्वारा उठाए गए बिन्दुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भूमि को भार मुक्त किए जाने में आ रही समस्या का निदान किया जाए। तेहरा के साथ ही अन्य स्थानों पर कच्चा बांध बनाया जाता रहा है, उसका निर्माण कराया जाएगा। भीषण गर्मी को ध्यान में रखते हुए तालाबांें को भरवाया जाएगा। निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित कराने के लिए प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने बरेली में आम और अमरूद के लिए अतिरिक्त लक्ष्य दिए जाने, जैविक खेती के प्रमाणीकरण के लिए प्रयोगशाला की स्थापना के साथ ही मैज ड्राई यूनिट की स्थापना कराए जाने की ओर एपीसी का ध्यानाकर्षण किया।

जिलाधिकारी अलीगढ़ विशाख जी0 ने बताया कि जिले में 40 प्रतिशत क्षेत्रफल में धान एवं 50 प्रतिशत में बाजरा की बुबाई की जाती है। खाद-बीज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। किसान दिवस में सीधे संवाद कर किसानों की समस्याओं का समाधान कराया जाता है। भीषण गर्मी के दृष्टिगत विद्युत आपूर्ति में हो रही परेशानी के चलते प्रबन्ध निदेशक विद्युत से बात की गई है। जिले में 40 प्रतिशत टेल मध्य गंगा से फीड होते हैं। उन्होंने मक्का, बाजरा के खरीद केन्द्र आरम्भ कराने का आग्रह किया। इसके साथ ही पीएम कुसुम योजना में टैक्नीकल सपोर्ट कार्यालय की स्थापना की भी बात कही। उन्होंने बीज के प्रचलित ब्रांड की उपलब्धता सुनिश्चित कराए जाने पर भी जोर दिया।

गोष्ठी में कृषि निदेशक जितेन्द्र कुमार तौमर, निदेशक मण्डी परिषद अंजनी कुमार सिंह, निदेशक उद्यान विजय बहादुर द्ववेदी, प्रबन्ध निदेशक बीज वित्त विकास निगम द्वारा भी विभागीय योजनाओं पर प्रकाश डाला गया। गोष्ठी में तीनों मण्डलों के सभी जिलों से तीन-तीन प्रगतिशील किसानों द्वारा खेती-किसानी से संबंधित समस्याओं को प्राप्त कर उनके निदान के लिए संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए गये।

गोष्ठी से पूर्व कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने प्रदर्शनी का फीता काटकर अवलोकन किया। गोष्ठी में मंडी, बाल विकास एवं पुष्टाहार, सामाजिक वानिकी प्रभाग, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, पंचायतीराज, पशुपालन, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, क्षेत्रीय भूमि परीक्षण प्रयोगशाला, एनआरएलएम, मत्स्य विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के स्टॉल के साथ ही कृभको द्वारा नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी के बारे में भी स्टॉल के माध्यम से बताया और समझाया गया। एपीसी ने फार्म मशीनरी बैंक योजना के तहत ग्राम बादवामनी ब्लॉक लोधा के प्रकाशी देवी फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी, कस्टम हायरिंग सेटर योजना के तहत जवां के ग्र्राम सपेरा भानपुर के उपेन्द्र सिंह, एवं जवां के ग्राम बरौली के सुखवीर सिंह को टैªक्टर की चाबी प्रदान की। मृदा नमूना कार्ड वितरण के लिए गॉव शाहपुर के रतनपाल सिंह, धीरेन्द्र सिंह, धर्मपुर के रकम सिंह, अनूप सिंह एवं जलोखरी के मुकेश कुमार को मृदा कार्ड दिया गया। गोष्ठी में सभी जिलों के सीडीओ, उप कृषि निदेशक, जिला कृषि अधिकारी, जिला कृषि रक्षा अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक, एलडीएम समेत सम्बन्धित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

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