आगरा, 26 अगस्त। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी दिवस को आगरा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन को लेकर जिला प्रशासन द्वारा तमाम तैयारियां की गयी हैं। मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, नगर आयुक्त समेत प्रशासन और पुलिस के तमाम अधिकारियों के दौरे पुरानी मंडी चौराहे के लग रहे हैं। जहां वीर शिरोमणि राष्ट्रवीर दुर्गादास राठौर की प्रतिमा का लोकार्पण एवं मुख्यमंत्री की जनसभा प्रस्तावित है। इसी तैयारी में नगर निगम का कैटलकैचर दस्ता भी लगा हुआ है। इनके द्वारा सफाई व्यवस्था करायी जा रही है। वीआईपी रोड पर जो भी आवारा पशु मिल रहे हैं, उन्हें वे पकड़कर ले जा रहे हैं। कल भी इनके द्वारा कुछ गाय आदि पशु वीआईपी रोड , खेरिया मोड़ से पकड़े थे, उन्हें ले गये। बाद में जुर्माना भरने के पश्चात उन्हें छोड़ दिया जाता है। इसी कड़ी में सोमवार को सुबह तड़के ही नगर निगम का कैटल कैचर वैहीकल खेरिया मोड़ पर पहुंच गया। उन्होंने तीन-चार गायों को पकड़ कर अपने वाहन में बैठा लिया। इसके बाद गोपालक वहां पहुंचे तो उनसे सौदेबाजी होने लगी।
सुबह काफी देर तक ये वाहन तथा उसके कर्मचारी ईदगाह पुल की ओर अपने ट्रक को मोड़कर खड़े रहे। इसके बाद गोपालक कृष्णा पुत्र सुरेंदर निवासी कृष्णानगर वहां आया। पहले तो वह खूब गिड़गिड़ाया। अपनी गरीबी का वास्ता दिया परंतु ये कर्मचारी नहीं पिघले। इसके पश्चात सौदेबाजी शुरू हो गयी। इस पर दो हजार रुपये में एक गाय को छोड़ने पर फैसला हो गया। यह गोपालक साइकिल से अपने घर गया पैसे लेने। तब तक ट्रक जोकि ईदगाह पुल की ओर जाने के लिये खड़ा था, उसे चालक मोड़कर सब्जी मंडी खेरिया मोड़ की तरफ ले गया। जैसे ही गोपालक ने दो हजार रुपये दे दिये तो एक गाय को उन्होंने तुरंत ही ट्रक में से उतार दिया। तुरंत ही गाय को यह गोपालक अपने बाड़े में छोड़ आया। यह पूरा वाकया इस रिपोर्टर द्वारा लगातार वाच किया जा रहा था। कुछ तस्वीरें भी कैमरे में कैद की थीं। इसके पश्चात उस गोपालक कृष्णा से पूछा गया तो पहले तो वह गिड़गिड़ाया। नहीं ये मुझे परेशान करेंगे। कल भी मेरी एक गाय को ले गये थे , जो अभी तक नहीं छोड़ी है। कड़ाई से पूछने पर वह कहने लगा कि दो हजार रुपये लेकर मेरी गाय को अभी छोड़ा है। उसके पास ही खेरिया मोड़ पर एक और गोपालक खड़ा था, उसका कहना था कि यहां तो महीने में कम से कम पचास बार नगर निगम का यह ट्रक आता है। इसी तरह कुछ दुधारू पशुओं को पकड़ ले जाते हैं, कुछ को पैसे लेकर छोड़ जाते हैं। इन गोपालकों का कहना था कि इन लोगों ने यह धंधा बना रखा है। उनका कहना है कि हम किसी से शिकायत भी करें तो कोई सुनने वाला नहीं है। आखिर हम पेट पालन के लिये कुछ तो रोजगार करें। जिससे कि अपना और परिवार का पेट पालन कर सकें।