अब आस्ट्रेलिया समुद्र के रास्ते होने वाले जीवित भेड़ों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने जा रहा है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने समुद्री रास्ते भेड़ों के निर्यात पर 2028 से पाबंदी लगाने का ऐलान किया है। यह फैसला जानवरों के हितों की रक्षा करने वाले समूहों की मांग पर लिया गया है। सरकार का कहना है कि निर्यात बंद करने से पहले पांच सालों में 10.7 करोड़ ऑस्ट्रेलियाई डॉलर की राशि से सहायता दी जाएगी ताकि इससे प्रभावित होने वाले लोग समायोजन कर सकें। हालांकि पशु किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाला संगठन इस फैसले से खुश नहीं है।
उनका कहना है कि इससे कई लोगों की नौकरियां चली जाएंगी और किसान समुदाय प्रभावित होंगे। ऑस्ट्रेलिया की सरकार के मुताबिक, वह मई 2028 से समुद्र के रास्ते देश से जीवित भेड़ों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाएगी। प्रतिबंध लागू करने के लिए कानून संघीय संसद के वर्तमान कार्यकाल में पेश किया जाएगा। यह चरणबद्ध प्रतिबंध पशुधन निर्यात उद्योगों, जैसे जीवित मवेशियों के निर्यात पर लागू नहीं होती है और न ही यह हवाई मार्ग से जीवित भेड़ों के निर्यात पर लागू होती है।
कितना बड़ा है कारोबार
गौरतलब है कि 1990 और 2000 के दशक में ऑस्ट्रेलिया हर साल लगभग 50 लाख भेड़ों का निर्यात करता था, लेकिन धीरे-धीरे यह संख्या कम होती चली गई। अब यह संख्या कम होकर 6 लाख 84 हजार हो गई है। इनकी कीमत लगभग 50 मिलियन डॉलर थी। इन भेड़ों को जहाजों से मुख्यतः मध्य- पूर्व के देशों में भेजा जाता है। जानवरों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले समूहों का कहना है कि भेड़ों को इतनी लंबी यात्रा कराना उनके साथ क्रूरता है। 2018 में गर्मी से 2400 भेड़ों की मौत के बाद से इस मामले को लेकर काफी बहस छिड़ी थी।
इन देशों में होता है निर्यात
रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर भेड़ों को मध्य पूर्व में भेजा जाता है, जो लगभग दो सप्ताह की दूरी पर है। इनका मुख्य निर्यात गंतव्य कुवैत, इज़राइल और संयुक्त अरब अमीरात हैं। पशु अधिकार समूह वर्षों से ऑस्ट्रेलिया से उन शिपमेंट को रोकने के लिए दबाव डाल रहे हैं, जहां 2018 में गर्मी के तनाव से 2,400 भेड़ों की मौत पर सार्वजनिक आक्रोश ने सख्त कल्याण मानकों की मांग की थी।
जनवरी में, इज़राइल जाने वाला लगभग 14,000 भेड़ों और 2,000 मवेशियों को ले जाने वाला एक जहाज ऑस्ट्रेलिया के तट पर भीषण गर्मी में फंस गया था। इस दौरान उसे लाल सागर के माध्यम से यात्रा छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
-एजेंसी