अमेरिका के टैरिफ़ निर्णय और भारत के लिए संभावनाएँ – पूरन डावर

अन्तर्द्वन्द

अमेरिका की ट्रंप सरकार ने अपने टैरिफ्स की घोषणा कर दी है। 5 अप्रैल से अमेरिका में हर निर्यात पर 10% अतिरिक्त टैरिफ और 10 अप्रैल से घोषित टैरिफ लागू होंगे। यह टैरिफ उस देश के साथ व्यापार घाटे के आधार पर तय किए गए हैं और यह अब तक जिस देश के साथ जो टैरिफ था, उस पर अतिरिक्त टैरिफ लगेगा।

सभी देश सकते में हैं, उससे भी अधिक अमेरिका के इम्पोर्टर सकते में हैं, क्योंकि यह भार उन पर पड़ने वाला है, न कि निर्यातकों पर। अमेरिका में अभी तक कंज्यूमर प्रोडक्ट्स काफ़ी सस्ते थे और पूरे विश्व के पर्यटकों के लिए एक बड़ा शॉपिंग सेंटर थे, लेकिन अब इस पर बड़ा झटका लग सकता है और अमेरिका का एक और ट्रेड घाटा कम होगा, दूसरी ओर अमेरिका के उपभोक्ताओं पर सीधे मार पड़ेगी और अर्थव्यवस्था में भी मंदी आ सकती है और ट्रंप को बड़ा विरोध झेलना पड़ सकता है।

हालांकि, कुछ समय लगेगा एचएसएन कोड के अनुसार किस वस्तु पर कितना टैरिफ है। जहाँ तक जूते का सवाल है, भारत इस मामले में सर्वाधिक बेहतर स्थिति में है और निश्चय ही भारत का निर्यात अमेरिका में बढ़ेगा। भारत से अमेरिका को निर्यात पर अभी तक 8.5% ड्यूटी थी, जो बढ़कर 35.5% हो सकती है, जबकि चीन पर 54%, वियतनाम पर 49%, कंबोडिया पर 46%, इंडोनेशिया पर 39+10 = 49%, बांग्लादेश और पाकिस्तान पर एमएफएन के तहत 0% होने के बावजूद 37% और 29% तक हो सकता है। यही देश जूता निर्यातक हैं, और स्पष्ट रूप से चीन से बड़ा शिफ्ट होगा।

भारत लगातार एफटीए (मुक्त व्यापार समझौते) पर भी काम कर रहा है। यूएई और ऑस्ट्रेलिया के साथ यह समझौता हो चुका है, जबकि यूके के साथ एफटीए पर बातचीत में बड़ी प्रगति हो चुकी है और अमेरिका के साथ भी लगातार बात जारी है।

कुल मिलाकर, भारत के लिए यह समय अच्छा है। जूता जैसे श्रम आधारित उद्योगों में संभावनाएं भारत के लिए सदैव बनी रहेंगी, और इस टैरिफ वॉर में भारत उभरकर निकलेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *