गंगा, यमुना, सरस्वती के साथ नर्मदा का भी है बड़ा धार्मिक महत्व, माना जाता है कुंवारी नदी

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मध्य प्रदेश की प्रमुख नदी नर्मदा का नाम देश की प्रमुख नदियों में शुमार है। गंगा, यमुना, सरस्वती के साथ नर्मदा का भी बड़ा धार्मिक महत्व है। भारत के बड़े धार्मिक आयोजन नर्मदा के जल और मिट्टी के बिना पूरे नहीं होते। अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा में भी इसकी मिट्टी और जल को शामिल किया गया था।

लेकिन क्या आप जानते हैं इसे कुंवारी नदी माना जाता है। आज हम आपको बता रहे हैं नर्मदा नदी की लोककथाएं और नर्मदा से जुड़े ऐसे ही अनेक रहस्य..

रेवा भी है नर्मदा का नाम

मध्य प्रदेश के अमरकंटक से निकलने वाली नर्मदा के एक अन्य नाम रेवा है। एकात्मता स्तोत्र के श्लोक गंगा, सरस्वती, सिन्धुः ब्रहमपुत्रश्च गण्डकी, कावेरी, यमुना रेवा, कृष्णा गोंदा महानदी कहकर प्रमुख नदियों में इसे शामिल किया गया है। यह भारत की चौथी बड़ी नदी है। मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ होने से ही इसे मध्य प्रदेश की जीवन रेखा नाम से भी जाना जाता है। खास बात यह है कि यह विपरीत दिशा में बहती है।

क्यों कुंवारी रह गई नर्मदा

पौराणिक कथा के अनुसार सोनभद्र नद और नर्मदा नदी के घर आसपास थे और अमरकंटक की पहाड़ियों में दोनों का बचपन बीता। दोनों किशोर हुए तो लगाव बढ़ने लगा और दोनों को एक दूसरे से प्रेम हो गया। दोनों ने साथ जीने की कसमें खा लीं, लेकिन अचानक दोनों के बीच में नर्मदा की सहेली जुहिला नदी आ गई। सोनभद्र, जुहिला नदी के भी प्रेम में पड़ गया। नर्मदा को यह पता चला तो उन्होंने सोनभद्र को समझाने की कोशिश की, लेकिन सोनभद्र नहीं माना। इससे नाराज होकर नर्मदा दूसरी दिशा में चल पड़ी और हमेशा कुंवारी रहने की कसम खा ली। कहा जाता है कि इसलिए सभी प्रमुख नदियां बंगाल की खाड़ी में मिलती हैं, लेकिन नर्मदा अरब सागर में मिलती हैं। आज भी यह नदी अन्य नदियों से विपरीत दिशा में बहती है जो किसी आश्चर्य से कम नहीं है।

नर्मदा के कुंवारी रहने की दूसरी कथा

एक लोककथा के अनुसार हजारों साल पहले नर्मदा नदी और सोनभद्र नद की शादी होने वाली थी। विवाह मंडप में बैठने से ठीक पहले नर्मदा को पता चला कि सोनभद्र की दिलचस्पी उसकी दासी जुहिला (यह आदिवासी नदी मंडला के पास बहती है) में अधिक है। प्रतिष्ठित कुल की नर्मदा यह अपमान सहन ना कर सकीं और मंडप छोड़कर उलटी दिशा में चली गईं।

नर्मदा का महत्व

मान्यता है कि गंगा नदी के जल से स्नान करने से जहां भक्तों के कष्ट दूर होते हैं वहीं नर्मदा स्नान से पुण्य फल की प्राप्‍ति होती है।

-एजेंसी

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