आगरा। बाहरी देशों को निर्यात किये गए मसालों में कीटनाशक पाए जाने के बाद भारतीय खाद सुरक्षा और मानक की ओर से मसाला उत्पादकों के खिलाफ कार्यवाही को लेकर प्रदेश के व्यापारियों में नारजगी है। व्यापारियों का कहना है कि सही तथ्यों को अनदेखा कर विभाग ने मसालों में हानिकारक कीटनाशकों के इस्तेमाल का आरोप लगाया जबकि कीटनाशक का इस्तेमाल अपनी फसल बचाने के लिए किसान करता है।
व्यापारियों का कहना है कि इस सन्दर्भ में यह होना चाहिए कि सरकार किसानों को शिक्षित और जागरूक करें। आगरा के नामचीन मसाले मुंशी पन्ना मसाला, गोल्डी मसाला, शिल्पा मसाले, दया मसाला बड़े ब्रांड का भी उत्पीड़न हो रहा है। उन्होंने कहा कि फैक्ट्रियों में मसालों के कीटनाशक मिलाना असंभव है। बैठक में व्यापारियों ने विभिन्न मुद्दों पर राय रखीं जिसमें ये प्रमुख हैं –
- पेस्टीसाइड का उपयोग खेत में किसान द्वारा होता है, मसाला उत्पादक द्वारा नहीं मिलाया जाता।
- सरकार का किसान पर नियंत्रण नहीं है इसलिए इंडस्ट्री को निशाना बनाया जा रहा है।
- अनेकों मसाले बनाने में 40-50 से ज्यादा आइटम इस्तेमाल होते हैं। सूक्ष्म और लघु उद्योग के पास साधन नहीं है कि वो हर आइटम को खरीद कर 265 जांच करें।
- सरकार APMC मंडी का संचालन करती है और उसमे वो ही माल बिकना चाहिए जिसमें Pesticides की मात्रा नियमानुसार हो।
- सरकार को सही फसल की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी तब ही भारतीय उद्योग आगे बढ़ेंगे।
- इस पूरे मामलें में सरकार द्वारा बहुत ही गलत तरह से मसाला उद्योग के साथ अन्याय किया जा रहा है।
- एक ब्रांड बनाने में सालों की मेहनत लगती है और सरकार के इस कदम से ग्राहक का ब्रांडों पर से विश्वास उठ रहा है जबकि ब्रांड्स की इसमें कोई गलती भी नहीं है।
- पूरे देश में इस अभियान के प्रति बहुत नाराजगी है।
- जिन स्थानों पर साबुत मसालों की पैदावार होती है वहीं से साबुत मसालों के सैंपल लिए जाये, उससे सही स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
- इस अभियान के दौरान फेल हुए नमूनों की जांच रिपोर्ट को निरस्त की जाए और मसाला उत्पादक के ऊपर की जाने वाली कार्यवाही पर रोक लगाई जाये।