आगरा। अमृता विद्या एजुकेशन फॉर इम्मोर्टालिटी और छांव फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में फतेहाबाद रोड स्थित ‘शीरोज हैंगआउट’ में “जीवन में गीता की भूमिका” विषयक संगोष्ठी में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के महाप्रबंधक (इंजीनियरिंग) अनूप चंद्र श्रीवास्तव ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि गीता जीवन का दर्शन है।
श्रीमदभगवत गीता केवल ग्रंथ नहीं, जीवन का दर्शन
श्री श्रीवास्तव ने कहा कि ‘श्रीमद भगवत गीता’ को केवल धार्मिक ग्रंथ समझना इसकी व्यापकता को सीमित करना है। यह ग्रंथ जीवन की जटिलताओं में स्पष्टता, कर्त्तव्य बोध और आत्मिक शक्ति प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि महाभारत के दौरान अर्जुन के मोह को दूर करने हेतु श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए उपदेशों का संकलन ही गीता है, जो आज के समय में भी अत्यंत प्रासंगिक है।
गीता पर्याय: जनजागरण अभियान
श्री श्रीवास्तव ने जानकारी दी कि वे 2018 से ‘गीता पर्याय’ नामक अभियान के तहत नियमित रूप से सत्संग, संगोष्ठी और संवाद के माध्यम से गीता के सार्वकालिक संदेशों को समाज तक पहुंचा रहे हैं। वे गीता को धर्म या संप्रदाय से परे मानव जीवन का वास्तविक मार्गदर्शन मानते हैं। उन्होंने कहा कि गीता न केवल व्यक्ति के भीतर के अहंकार को नियंत्रित करती है, बल्कि जीवन को उद्देश्यपूर्ण और सकारात्मक बनाती है।
प्रबंधन और शिक्षा में गीता की भूमिका
अपने संबोधन में श्री श्रीवास्तव ने यह भी बताया कि गीता की शिक्षाएं अब प्रबंधन शास्त्र और कॉर्पोरेट नेतृत्व का भी हिस्सा बन चुकी हैं। भारत और विदेशों के कई प्रबंधन संस्थानों में गीता को पाठ्यक्रम के रूप में पढ़ाया जा रहा है क्योंकि यह निर्णयन क्षमता, नैतिकता और नेतृत्व विकास में प्रभावी भूमिका निभाती है।
समारोह में ये रहे मौजूद
कार्यक्रम में शहर की कई प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति रही। इनमें नवाबउद्दीन, एम. यू. कुरैशी, सईद शाहीन हाश्मी, अमल शर्मा, डीके तायल, फरमान, दीप्ति भार्गव, ज्योति खंडेलवाल, विधु दत्ता, ब्रिगेडियर विनोद दत्ता, राजीव सक्सेना, डॉ. महेश धाकड़, डॉ. विजय शर्मा सहित प्रमुख थे। कार्यक्रम का संचालन अमृता विद्या के सचिव अनिल शर्मा ने किया तथा छांव फाउंडेशन के राम भरत उपाध्याय ने आभार प्रकट किया।
सिविल सोसायटी के महासचिव अनिल शर्मा और छांव फाउंडेशन के आशीष शुक्ला ने श्री श्रीवास्तव के अभियान को राष्ट्र सेवा की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल बताया और आशा जताई कि गीता के संदेशों से अधिक से अधिक लोग जुड़ेंगे और अपने दायित्वों के प्रति सजग बनेंगे।