Agra News: श्रीमद् भागवत कथा में रासलीला फूलों की होली के साथ हुआ श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह

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आगरा। रासलीला केवल नृत्य गीत का प्रसंग नहीं बल्कि यह आत्मा और परमात्मा के मिलन की पावन कथा है। कथा व्यास युवाचार्य अभिषेक ने बताया कि जब कोई भक्त प्रभु को अपना सर्वस्व समर्पित कर देता है तभी महारास घटित होता है।

दयालबाग स्थित श्रीबालाजी धाम आश्रम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा एवं फाल्गुन महोत्सव के षष्ठम दिन श्री रासलीला महोत्सव, श्री कृष्ण रुक्मणी मंगल और फूलों की होली प्रसंग का वर्णन हुआ। मुख्य यजमान कुंती चौहान और दैनिक यजमान सीमा राजपाल ने व्यास पूजन किया।

आरती अरविन्द जी महाराज, श्री प्रेमनिधि जी मंदिर नाई की मंडी के मुख्य सेवायत हरिमोहन गोस्वामी, हरिओम यादव, पूर्व विधायक सुबोध यादव, सुनील शर्मा, मनीष अग्रवाल, डॉ अनिल अग्रवाल और अनिल खंडेलवाल भरतपुर ने की।

कथा व्यास युवाचार्य अभिषेक ने श्री रासलीला महात्म्य का वर्णन अपने मधुर कंठ से करते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण की रासलीला केवल नृत्य या गीत का प्रसंग नहीं है, बल्कि यह आत्मा और परमात्मा के मिलन की गाथा है। उन्होंने समझाया कि रास शरीर का नहीं आत्मा का विषय है जब कोई समर्पित भाव से प्रभु का स्मरण करता है तो उसकी आत्मा प्रभु में लीन हो जाती है और परमात्मा सहज रूप से सामने आ जाते हैं।

उन्होंने कथा का मार्मिक वर्णन करते हुए बताया के श्री कृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों को बुलाया लेकिन जब गोपियों के भीतर भक्ति का अहंकार जागृत हुआ तो श्री कृष्णा ओझल हो गए। गोपियों ने गोपी गीत के माध्यम से अपनी भक्ति और प्रेम व्यक्त किया जिससे प्रभु प्रकट हुए और महारास का आयोजन हुआ। आचार्य ने कहा महारास में गाए जाने वाले पांच गीत भागवत के पांच प्राण हैं। जो भी इन्हें सच्चे भाव से गाता है वह भवसागर पार कर लेता है और उसे वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है।

कथा के सातवें दिन विश्राम कथा में भगवान श्री कृष्ण सुदामा मित्रता की अलौकिक कथा का वर्णन किया जाएगा इसके साथ ही भगवान श्री कृष्ण द्वारा मित्रता धर्म निभाने के लिए दिया गया संदेश भक्त जनों को आचार्य के श्री मुख से सुनाया जाएगा।

अरविंद महाराज ने कथा प्रसंग के बाद भागवत कथा का महत्व बताते हुए कहा भगवान श्री कृष्ण की लीला कलयुग में मानव जीवन का उद्धार करने का सबसे सरल मार्ग है। उन्होंने कहा कलयुग में प्रभु के नाम उच्चारण मात्र से कल्याण संभव है ऐसा अन्य युगों में नहीं था।

फूलों की होली में झूमे भक्त

भागवत कथा में फूलों की होली ने सभी भक्तों को भाव विभोर करते हुए नृत्य करने पर मजबूर कर दिया। फूलों की होली के बीच भगवान श्री कृष्णा और राधा रानी की अलौकिक छवि पर सभी भक्तों ने पुष्प वर्षा कर मंगल गीत गाए। कथा के मध्य हुए सुमधुर ‘बिरज में होली खेलन आयो रे नंदलाल सबन को प्यारो….. भजनों पर श्रद्धालुओं ने रासनृत्य किया।

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