Agra News: धर्म-अधर्म के शोर में करुणा की पुकार: बुद्ध पूर्णिमा पर आगरा में गूंजा शांति का संदेश

Press Release

नरीपुरा में तथागत बुद्ध की जयकारों के बीच हुआ विशाल खीर वितरण

आगरा – जब देशभर में धर्म के नाम पर बयानबाज़ी, टकराव और राजनैतिक शोर की गर्मी बढ़ती जा रही है? ऐसे माहौल में वहीं आगरा के श्रावस्ती नगर नरीपुरा चौराहे पर बुद्ध पूर्णिमा के दिन करुणा और शांति की ठंडी हवा चली। आगरा के श्रावस्ती नगर स्थित कृष्णा वाटिका के सामने नरीपुरा चौराहा पर बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर हुए शांति और सेवा के आयोजन ने करुणा की एक नई मिसाल पेश की। यहां किसी बड़े नेता का आगमन नहीं था, लेकिन तथागत गौतम बुद्ध की जयंती पर सादगी से हुआ विशाल खीर वितरण कार्यक्रम लोगों के दिलों को छू गया।

“बुद्धं शरणं गच्छामि” की शांति से गूंजती ध्वनि और श्रद्धा से भरे वातावरण में लोगों ने तथागत को याद किया — जिन्हें दुनिया करुणा का सम्राट मानती है। आयोजन में न कोई दिखावा था, न ही कोई राजनीतिक झलक, फिर भी यहाँ मौजूद हर व्यक्ति की आंखों में श्रद्धा और संतोष साफ झलक रहा था।

प्रसाद में बंटी खीर, भावनाओं की मिठास के साथ कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में खीर वितरित की गई। लंबी कतारों में लगे लोगों ने अनुशासन का परिचय देते हुए श्रद्धापूर्वक खीर प्राप्त की। आयोजकों ने बताया कि यह केवल प्रसाद नहीं था, बल्कि बुद्ध के विचारों के साथ समाज में शांति और सद्भाव फैलाने का एक माध्यम था।

सादगी में बसी विशेषता, कर्म से बदलेगी सोच

इस आयोजन की सबसे खास बात यह रही कि कोई भीड़ जुटाने की रणनीति नहीं थी, बल्कि स्थानीय लोगों की सहभागिता और सेवा भावना ही इसकी आत्मा थी। किसी ने फूल चढ़ाए, किसी ने खीर परोसी, तो किसी ने बस मौन रहकर तथागत बुद्ध की शिक्षाओं को याद किया।

कार्यक्रम के आयोजकों ने बताया कि हर साल बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर इसी तरह से आयोजन होता है। इसमें प्रचार से ज्यादा जोर सेवा और करुणा पर दिया जाता है। “हम शब्दों से नहीं, कर्म से समाज बदलना चाहते हैं,” आयोजकों ने कहा।

बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित इस शांति और सेवा के आयोजन को सफल बनाने में शहर के कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्ध अनुयायियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इनमें प्रमुख रूप से श्याम बाबू (कवि), इन्द्रजीत लेखपाल, बालकृष्ण (अध्यापक), तुलसीराम कैन, ठाकुर दास, धर्मेंद्र सागर, अशोक कुमार, वेदप्रकाश निगम, आकाश कुमार गौतम, विनय कुमार, कुलदीप, रतन सिंह, पार्षद रविन्द्र, सुरेन्द्र सिंह और कुंवर चंद (वकील साहब) की सक्रिय सहभागिता विशेष रूप से सराहनीय रही।

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