आगरा। हाईटेक पुलिसिंग का दम भरने वाली आगरा कमिश्नरेट पुलिस इन दिनों एक शर्मनाक वीडियो को लेकर कठघरे में है। सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे एक वीडियो ने विभाग की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस वीडियो में एक कांस्टेबल थाना इंचार्ज के कार्यालय में एक युवक को पटे से बेरहमी से पीटते हुए दिखाई दे रहा है।
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वीडियो में देखा जा सकता है कि कांस्टेबल युवक को एक के बाद एक पटे से मारता जा रहा है। युवक दर्द से कराहता है, हाथ जोड़कर छोड़ देने की मिन्नतें करता है, लेकिन सिपाही पर इसका कोई असर नहीं होता। पुलिसिया क्रूरता का यह दृश्य किसी सामान्य सजा का हिस्सा नहीं बल्कि थर्ड डिग्री का वीभत्स नमूना है।
वायरल वीडियो की जांच में कांस्टेबल की पहचान एत्माउद्दौला थाने में तैनात उपेंद्र यादव के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि यह वीडियो तब का है जब उपेंद्र ट्रांस यमुना थाने में तैनात था। घटना थाना प्रभारी के दफ्तर की बताई जा रही है, जिससे पुलिस महकमे की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। चर्चाएं हैं कि युवक को किसी वसूली के उद्देश्य से हिरासत में लिया गया और बाद में छोड़ भी दिया गया।
इस पूरे घटनाक्रम में यह स्पष्ट नहीं है कि युवक को किस आधार पर पकड़ा गया था, यदि वह अपराधी था तो उसे जेल क्यों नहीं भेजा गया? और अगर वह निर्दोष था, तो उसे थर्ड डिग्री क्यों दी गई? क्या थाना प्रभारी इस अमानवीय कृत्य से अनभिज्ञ थे? यह सवाल सिर्फ थाने या जिले तक सीमित नहीं, बल्कि पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर गहरे प्रश्नचिन्ह हैं।
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या कांस्टेबल उपेंद्र यादव के खिलाफ विभागीय कार्रवाई होगी या एक बार फिर मामला दबा दिया जाएगा? क्या वायरल वीडियो को संज्ञान में लेकर पुलिस महकमा निष्पक्ष जांच कर दोषियों को दंडित करेगा या इसे भी पुरानी फाइलों की धूल में दफना दिया जाएगा?