Agra News: मोबाइल बना मशाल… आगरा में स्वच्छता का नया तरीका

स्थानीय समाचार

आगरा, जिसे दुनिया ताजमहल के लिए जानती है, अब अपनी स्वच्छता की अनोखी पहल के लिए भी जानी जा रही है।

आमतौर पर मशाल जुलूस या टॉर्च मार्च में लोग पारंपरिक साधनों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन आगरा नगर निगम ने एक नई राह चुनी। उन्होंने मोबाइल फोन की फ्लैश लाइट को स्वच्छता की मशाल बना दिया और ‘स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा’ के तहत एक ऐसा मार्च निकाला, जिसने हर किसी का ध्यान खींचा। यह सिर्फ एक मार्च नहीं था, यह एक विचार था, जो डिजिटल युग के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहा था।

मंगलवार की शाम, आवास विकास सेक्टर-2 का सेंट्रल पार्क उस ऐतिहासिक पल का गवाह बना, जहाँ सैकड़ों लोग अपने हाथों में मोबाइल फोन की फ्लैश लाइट जलाकर खड़े थे। ये लाइट्स सिर्फ चमक नहीं थीं, बल्कि हर एक चमक में स्वच्छता के प्रति एक प्रतिबद्धता थी। यह मार्च सेंट्रल पार्क से शुरू हुआ और ईंट मंडी, सिकंदरा बोदला रोड, करकुंज से होते हुए नगर निगम के लोहामंडी जोनल कार्यालय पर जाकर रुका।

इस मार्च में सबसे आगे एक स्वच्छता जागरूकता वैन चल रही थी, जिस पर लगे ऑडियो-विजुअल संदेश लोगों को सफाई का महत्व बता रहे थे। ये सिर्फ आवाजें नहीं थीं, बल्कि एक आह्वान था – अपने घर, अपने मोहल्ले और अपने शहर को साफ रखने का। इस वैन की प्रकाश व्यवस्था ने पूरे मार्च को एक उत्सव जैसा रूप दे दिया, जहाँ हर कोई एक नेक मकसद के लिए इकट्ठा हुआ था।

इस मार्च में शामिल हुए हर व्यक्ति ने यह साबित कर दिया कि स्वच्छता किसी एक व्यक्ति का काम नहीं, बल्कि एक सामूहिक जिम्मेदारी है। march के अंत में, सभी प्रतिभागियों को एक साथ “स्वच्छता की शपथ” दिलाई गई। यह शपथ सिर्फ कुछ शब्द नहीं थे, बल्कि एक वादा था – अपने शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने का।

नगर निगम के अधिकारियों ने इस पहल के पीछे का मकसद स्पष्ट करते हुए कहा कि ऐसी गतिविधियाँ लोगों को सिर्फ जागरूक ही नहीं करतीं, बल्कि स्वच्छता को एक जन आंदोलन का रूप देती हैं। यह एक ऐसी सोच है जहाँ सरकार की पहल नागरिकों की भागीदारी के साथ मिलकर एक बड़ा बदलाव ला सकती है।

आगरा नगर निगम का यह ‘स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा’ सिर्फ कुछ दिनों का अभियान नहीं है, बल्कि एक सतत प्रयास है। यह लोगों के दिलों में स्वच्छता के बीज बोने का काम कर रहा है, ताकि आने वाले समय में आगरा एक ऐसा शहर बने जो सिर्फ अपने इतिहास के लिए नहीं, बल्कि अपनी साफ-सफाई और अपने नागरिकों की जागरूकता के लिए भी जाना जाए।

यह मार्च हमें बताता है कि बदलाव के लिए जरूरी नहीं कि बड़े-बड़े संसाधन हों। कभी-कभी एक छोटी सी पहल, एक मोबाइल की फ्लैश लाइट भी पूरे शहर को रोशन कर सकती है।

-मोहम्मद शाहिद

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