Agra News: सत्ता के गलियारों में मिली धमकी: लोधी समाज को उतरना पड़ा सड़क पर

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क्या एक विधायक के पुत्र को किसी को भी धमकी देने का अधिकार मिल जाता है? क्या कानून और व्यवस्था कुछ लोगों के लिए अलग और कुछ लोगों के लिए अलग काम करती है?

उत्तर प्रदेश की राजनीति और समाज में एक बार फिर से भय और धमकी का माहौल बनता दिख रहा है। सत्ता के गलियारों से लेकर ज़मीनी स्तर तक, लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या कुछ लोगों के लिए कानून और व्यवस्था की परिभाषा अलग है? ताज़ा मामला फतेहपुर सीकरी के विधायक बाबूलाल चौधरी के पुत्र रामेश्वर चौधरी से जुड़ा है। उन्होंने स्वर्गीय कुंदन सिंह लोधी के बेटे, प्रवीण लोधी को कथित तौर पर जान से मारने की धमकी दी है। यह एक ऐसा गंभीर आरोप है जिसने न केवल एक व्यक्ति की सुरक्षा पर सवाल खड़ा किया है बल्कि पूरे समाज को एकजुट होकर आवाज़ उठाने पर मजबूर कर दिया है।

जानकारी के मुताबिक, रामेश्वर चौधरी, जो कि फतेहपुर सीकरी के विधायक बाबूलाल चौधरी के पुत्र हैं, ने प्रवीण लोधी को जान से मारने की धमकी दी। यह धमकी किस वजह से दी गई, इसका अभी स्पष्ट खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन इस घटना ने लोधी समाज के भीतर गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। प्रवीण लोधी के पिता, बाबूजी कुंदन सिंह लोधी, एक सम्मानित व्यक्ति थे, और उनके परिवार को दी गई इस धमकी को समाज ने सीधे तौर पर एक चुनौती के रूप में देखा है।

इस घटना के बाद, लोधी समाज के प्रमुख नेताओं ने तत्काल एकजुटता दिखाई। लाल सिंह लोधी (प्रदेश महामंत्री), गुलाब सिंह एडवोकेट (जिलाध्यक्ष), राकेश लोधी (सांसद प्रतिनिधि), इंजीनियर किशोरी सिंह (लक्ष्य अध्यक्ष), और अन्य कई गणमान्य व्यक्तियों ने मिलकर एक बैठक की। इस बैठक में तय हुआ कि इस गंभीर मामले को हल्के में नहीं लिया जाएगा। समाज के सभी प्रतिनिधियों ने एकजुट होकर पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार से मुलाकात की और उन्हें एक प्रार्थना पत्र सौंपा। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वे इस मामले में निष्पक्ष और त्वरित कार्रवाई चाहते हैं। पुलिस कमिश्नर ने भी आश्वासन दिया कि इस प्रकरण में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा और सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

यह घटना केवल एक आपराधिक मामला नहीं है। यह उससे कहीं ज़्यादा गंभीर है। यह दिखाता है कि कैसे सत्ता की निकटता कुछ लोगों को कानून और नियमों से ऊपर होने का भ्रम देती है। एक विधायक के पुत्र द्वारा दी गई धमकी को लोग सीधे तौर पर सत्ता का दुरुपयोग मानते हैं।

यह घटना समाज के भीतर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है:

क्या सत्ता के करीब होने पर व्यक्ति इतना बेलगाम हो जाता है कि वह किसी भी आम नागरिक को धमका सकता है?

क्या यह मान लिया गया है कि समाज में कुछ लोग ही शक्तिशाली हैं और बाकी लोगों को उनकी मर्ज़ी पर जीना होगा?

क्या कानून केवल उन लोगों के लिए है जो बेबस हैं, और जिनके पास कोई राजनीतिक संरक्षण नहीं है?

यह घटना एक ऐसी खतरनाक प्रवृत्ति की ओर इशारा करती है जहाँ राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल निजी दुश्मनी या विवादों को सुलझाने के लिए किया जाता है। यदि एक विधायक का पुत्र खुलेआम किसी को धमकी देता है, तो यह माना जा सकता है कि यह कोई अकेला मामला नहीं है। ऐसे कई मामले होंगे जो शायद कभी सामने ही नहीं आ पाते।

हमारे लोकतंत्र में, जहां हर नागरिक को समान अधिकार और सुरक्षा का वादा किया गया है, वहाँ एक विधायक का बेटा एक आम नागरिक को जान से मारने की धमकी देता है और समाज को सड़क पर उतरना पड़ता है।

क्या यही वह ‘नया भारत’ है, जहाँ एक तरफ़ ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा है और दूसरी तरफ़ ‘तुम किसके साथ हो, उस पर तुम्हारी सुरक्षा निर्भर करेगी’ का unspoken rule (अलिखित नियम) है?

पुलिस कमिश्नर ने सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है, जो सराहनीय है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह आश्वासन केवल प्रेस नोट जारी करने तक सीमित रहेगा या सच में अपराधियों पर शिकंजा कसा जाएगा?

क्या इस मामले में कार्रवाई होगी या फिर हमेशा की तरह, एक राजनीतिक दबाव के आगे पुलिस-प्रशासन घुटने टेक देगा और मामला ठंडा पड़ जाएगा?

क्या अब समाज को ही अपने हक के लिए सड़क पर आना पड़ेगा, क्योंकि सत्ता में बैठे लोग ही अपनी ज़िम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं?

इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सत्ता और शक्ति का दुरुपयोग आज भी एक बड़ी समस्या है। लोधी समाज का एकजुट होकर सामने आना यह दिखाता है कि समाज अब चुप बैठने वाला नहीं है। यह उनकी जागरूकता और प्रतिरोध की भावना को दर्शाता है। यह मामला सिर्फ प्रवीण लोधी की सुरक्षा का नहीं है, बल्कि यह देश के हर उस नागरिक की सुरक्षा का सवाल है, जिसे सत्ता के नशे में चूर कोई भी व्यक्ति धमकाने का दुस्साहस कर सकता है।

पुलिस और प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस मामले में न केवल निष्पक्ष जांच हो, बल्कि दोषियों को कठोरतम दंड भी मिले। यदि ऐसा नहीं होता है, तो यह संदेश जाएगा कि ताकतवर लोग कानून से ऊपर हैं, और यह हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए एक बड़ा खतरा होगा।

अब देखना यह है कि पुलिस कमिश्नर का आश्वासन केवल एक प्रेस नोट तक सीमित रहता है या फिर वास्तव में न्याय की जीत होती है।

-मोहम्मद शाहिद की कलम से

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