आगरा के लघुवाद न्यायालय में विचाराधीन योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट के श्रीकृष्ण विग्रह केस संख्या- 659/2023 ‘श्री भगवान श्रीकृष्ण लला विराजमान आदि बनाम उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड आदि’ में जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे प्रभु श्रीकृष्ण के विग्रह के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा वैज्ञानिक सर्वे के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है।
वादी व अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि वर्ष 1670 ई में मुगल शासक औरंगजेब के आदेशानुसार मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर के प्रभु श्रीकृष्ण के विग्रह आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबा दिए गए थे, जिसका उल्लेख औरंगजेब के शासनकाल में लिखी मासिर-ए-आलमगीरी पुस्तक के 13 वें अध्याय में किया गया है।
अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि जहाँआरा शाहजहां की बड़ी बेटी थी, जिसे मुगलकाल में बेगम साहिबा की पदवी प्राप्त थी। उस समय जामा मस्जिद को बेगम साहिब की मस्जिद कहा जाता था। जामा मस्जिद परिसर में फारसी भाषा का एक शिलालेख है जिसमें लिखा है कि जामा मस्जिद को बेगम ने बनवाया था। उन्होंने बताया कि जामा मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन एक संरक्षित स्मारक है।
अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने 13 फरवरी 2024 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के समक्ष एक आरटीआई फाइल की थी, जिसमें यह जानकारी मांगी गई कि जामा मस्जिद का आज तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा किसी भी प्रकार का उत्खनन अथवा शोध कार्य किया गया है जिसका जवाब 27 फरवरी 2024 को प्राप्त हुआ जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने बताया कि आज तक जामा मस्जिद का किसी भी प्रकार का उत्खनन अथवा शोध कार्य नहीं किया गया है। अतः ऐसी स्थित में यह आवश्यक हो गया है कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों वैज्ञानिक सर्वे न्यायालय के आदेशानुसार किया जाए।
केस के वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुलश्रेष्ठ व अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि प्रार्थना पत्र में जामा मस्जिद की सीढ़ियों का जीपीआर सर्वे, उत्खनन, वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी आदि वैज्ञानिक विधि से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा की जाए एवं उसकी एक शोध रिपोर्ट माननीय न्यायालय में दाखिल की जाए। अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों का मूल ढांचा अभी भी जमीन के कई फीट नीचे दबा है जिसका सत्य एएसआई के सर्वे द्वारा ही बाहर आएगा।
आज श्रीकृष्ण विग्रह केस की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को प्रतिवादी बनाये जाने का आदेश जारी किया। सुनवाई की अगली तिथि 29 मार्च 2024 नियत की गई है। कामरेड भाजनलाल का 26 फरवरी के आदेश द्वारा विपक्षी बनाये जाने के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया था, जिसपर रिवीजन फाइल किया गया है। जिस पर सुनवाई की अगली तिथि 16 अप्रैल है।
-एजेंसी