Agra News: नगर निगम में बिड मैनेज कर चहेतों को टेंडर देने का आरोप, दिल्ली की फर्म ने महापौर से की शिकायत, महापौर ने नगरायुक्त को लिखा पत्र

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आगरा। आगरा नगर निगम निविदा प्रक्रिया में हेरफेर का बड़ा मामला सामने आया है। आरोप है कि महज 0.11 पैसे कम बिड लगाकर विनोद एंटरप्राइजेज को लगभग आठ करोड़ रुपये के टेंडर दे दिए गए। टेंडर से बाहर हुई दिल्ली की फर्म ने इसे घोटाला बताते हुए महापौर हेमलता दिवाकर कुशवाहा से शिकायत की है।

महापौर ने मामले को गंभीरता से लेते हुए नगरायुक्त अंकित खंडेलवाल को पत्र लिखा है और कहा है कि नगर निगम के राजस्व क्षति की आशंका को देखते हुए पूरे प्रकरण की गहराई से जांच कराई जाए। साथ ही, तीन दिन के भीतर पूरी टेंडर फाइल भी तलब कर ली है।

क्या है मामला?

अमृत 2.0 (पार्क एवं ग्रीन स्पेस) योजना के तहत नगर निगम ने यमुना किनारा रोड और पालीवाल पार्क के सौंदर्यीकरण के लिए क्रमशः 3.46 करोड़ रुपये और 4.11 करोड़ रुपये के दो अलग-अलग टेंडर निकाले थे। पहले राउंड में कोई बोली नहीं आई। फिर दोबारा टेंडरिंग की गई। इस प्रक्रिया में कुल चार निविदाएं प्राप्त हुईं, जिनमें से एक को ही अर्ह पाया गया।

तीसरे प्रयास में तीन कंपनियों ने हिस्सा लिया। इसमें से मैसर्स डीके कंस्ट्रक्शन और मैसर्स सरन एंड कंपनी को तकनीकी आधार पर बाहर कर दिया गया और टेंडर सीधे विनोद एंटरप्राइजेज को दे दिया गया। खास बात यह है कि विनोद एंटरप्राइजेज की बिड केवल 0.11 पैसे कम थी, जिससे सवाल खड़े हो गए हैं।

दिल्ली की फर्म का गंभीर आरोप

दिल्ली की मैसर्स सरन एंड कंपनी ने आरोप लगाया कि उनकी कंपनी ने सभी तकनीकी और वित्तीय योग्यताएं पूरी की थीं, फिर भी उन्हें जानबूझकर प्रक्रिया से बाहर किया गया। उनका कहना है कि यदि निष्पक्ष मूल्यांकन होता तो वे टेंडर के योग्य थे।

महापौर ने नगरायुक्त को दिए जांच के आदेश

महापौर ने नगरायुक्त को स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि नगर निगम को किसी भी प्रकार का वित्तीय नुकसान न हो, इसका ध्यान रखते हुए तत्काल जांच की जाए। साथ ही शिकायतकर्ता फर्म द्वारा लगाए गए आरोपों की निष्पक्षता से समीक्षा कर तीन दिन में पूरी रिपोर्ट सौंपी जाए।

इस मामले से उठ रहे तमाम सवाल

नगर निगम के निर्माण विभाग पर इस मामले को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं। क सवाल यह है कि क्या नगर निगम में टेंडर प्रक्रिया पारदर्शी रही? 11 पैसे कम बिड से बड़ा घोटाला तो नहीं छुपाया जा रहा? अगर गड़बड़ी साबित होती है तो जिम्मेदारों पर क्या कार्रवाई होगी? अब सभी की निगाहें नगरायुक्त की जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं।

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