दुर्घटनाग्रस्त इंजन की होगी टेस्टिंग पता लगेगा किन कारणों से हुआ हादसा
आगरा रेल डिवीजन में दशकों पुराने डीजल शेड की जगह अब रेलवे ने सभी इंजनों को इलेक्ट्रिक मोड पर ला दिया है। इसके साथ ही आगरा में पहली बार रेलवे की टेस्टिंग लैब के साथ-साथ मेंटेनेंस वर्कशॉप की स्थापना की गई है। अब पटरियों पर दौड़ने वाले इंजनों को ट्रैक पर उतरने से पहले टेस्टिंग लैब से होकर गुजरना होगा। ऐसा होने से हादसों की गुंजाइश बेहद कम हो जाएगी।
रेल मंत्रालय के दिशा निर्देशों के बाद आगरा रेल डिवीजन में बड़ा परिवर्तन देखने को मिल रहा है। शनिवार मंडल रेल प्रबंधक तेज प्रकाश अग्रवाल ने पुराने डीजल शेड से रिकंस्ट्रक्ट एवं रीडेवलप किए गए मेंटेनेंस वर्कशॉप और टेस्टिंग लैब का उद्घाटन किया। उन्होंने विधि विधान के साथ गणेश स्तुति के साथ टेस्टिंग लैब और मेंटेनेंस वर्कशॉप की शुरू कर दी। इसके साथ ही उन्होंने इस दौरान वर्कशॉप का निरीक्षण किया और जाना कि रेलवे कर्मचारियों को किसी भी तरीके की कोई समस्या तो नहीं है। के साथ इन्होंने रेलवे की व्यवस्थाओं को भी देखा।
मंडल रेल प्रबंधक तेज प्रकाश अग्रवाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अभी तक निजामुद्दीन और नई दिल्ली में ट्रिप शेड था, अब आगरा में इसकी शुरुआत कर दी गई है। जो भी इंजन साढ़े चार हजार किलोमीटर दौड़ लेते हैं उनको मेंटेनेंस के साथ टेस्टिंग लैब की आवश्यकता होती है जो अभी तक नहीं था। वर्ष 2000 के आसपास बीकानेर डिवीजन में हादसा हो गया था। अगर उसे दौरान ट्रिप शेड होता तो हादसा नहीं होता।
डीआरएम ने बताया कि साढ़े चार हजार किलोमीटर इंजन दौड़ने के बाद इंजन को मेंटेनेंस एवं टेस्टिंग लैब की आवश्यकता होती है। आगरा में टेस्टिंग एवं मेंटेनेंस वर्कशॉप शुरू होने से बहुत अधिक लाभ मिलेगा। हादसों की गुंजाइश भी खत्म हो जाएगी, जब इंजनों का समय पर मेंटेनेंस होगा तो उनकी लाइफ और अधिक होगी। उन्होंने बताया कि पहले यहां पर डीजल इंजन का शेड था, जिसको परिवर्तित कर ट्रिप शेड एवं वर्कशॉप के रूप में कन्वर्ट कर दिया गया है।