श्री मोरवीनन्दन सेवा मंडल द्वारा किया जा रहा है दिव्य कथा का आयोजन
कथा से पूर्व 5001 कलश की निकलेगी यात्रा, कोठी मीना बाजार में होगा आयोजन
श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर नर्मदा शंकर पुरी जी महाराज होंगे कथा व्यास
कार्यक्रम पत्रिका का किया गया महाराजा अग्रसेन भवन में विमोचन
11 से 17 मार्च तक होगी कथा, 18 मार्च को पूर्णाहुति, सम्मान समारोह संग होगा समापन
आगरा। देश की सर्वप्रथम श्रीखाटू श्याम जी भगवत कथा की तिथि में परिवर्तन की घोषणा करते हुए श्री मोरवी नंदन सेवा मंडल ने कार्यक्रम पत्रिका विमोचन समारोह आयोजित किया।
शनिवार को लोहामंडी स्थित महाराजा अग्रसेन भवन में आयोजित समारोह में आयोजन समिति के अध्यक्ष राम अग्रवाल ने बताया कि हर वर्ष श्री श्याम बाबा का फाल्गुन मेला लगता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए श्री खाटू धाम पहुंचते हैं। इस महत्वपूर्ण अवसर को पवित्र कथा अमृत वर्षा के लिए चयनित किया गया है। जिसके चलते देश में सर्वप्रथम आगरा में होने जा रही श्री खाटू श्याम भगवत कथा अब 11 मार्च से 17 मार्च तक आयोजित होगी। 18 मार्च को पूर्णाहुति, सम्मान समारोह और प्रसादी के साथ समापन होगा।
पार्षद मुरारी लाल गोयल ने बताया कि सप्त दिवसीय कथा कोठी मीना बाजार में होगी, जिसमें 15 हजार से अधिक श्याम प्रेमियों के कथा श्रवण करने का अनुमान है। उपाध्यक्ष आलोक आर्या ने बताया कि देश की सर्वप्रथम श्री खाटू श्याम जी भगवत कथा के व्यास श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर नर्मदा शंकर पुरी जी महाराज (जयपुर) होंगे।
महामंत्री अमित अग्रवाल ने कथा के महत्व के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सात दिवसीय कथा में प्रतिदिन सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और भजन संध्या संग प्रसादी वितरण भी होगा। मुकेश नेचुरल ने बताया कि सात दिवसीय कथा के आरंभ पर मंगल कलश यात्रा निकाली जाएगी। 5001 कलशों को लेकर महिलाएं पीत परिधानों में बैंड बाजे के साथ चलेंगी।
कार्यक्रम पत्रिका विमोचन समारोह के अवसर पर मनीष अग्रसेन विजय पचैरी, केदारनाथ अग्रवाल, अजय अग्रवाल, निरंजन पार्षद, संजय अग्रवाल, सुधीर गोयल, संदीप उपाध्याय, सुमन गोयल, बबिता पाठक, निशा सिंघल, नेहा, मोहिनी, पंकज, सुनील दत्त, तपेश, मनीष अग्रवाल, विवेक आदि उपस्थित रहे।
कथा में जीवंत होगा श्रीकृष्ण युग
महामंत्री अमित अग्रवाल ने कहा कि श्री खाटू श्याम बाबा की भजन संध्या प्रचलन में है किंतु उनकी भगवत कथा का आयोजन पहली बार होगा। उन्होंने श्याम बाबा के बारे में बताया कि महाभारत काल में लगभग साढ़े पांच हजार वर्ष पहले एक महान आत्मा का अवतरण हुआ था जिन्हें भीम पौत्र बर्बरीक के नाम से जानते हैं। उनकी माता मोरवी जी की सात्विक साधना के कारण उन्हें देवयोनी प्राप्त हुयी थी। बर्बरीक स्वयं साधक थे। उनकी साधना और पवित्रता के कारण उन्हें स्वयं श्रीकृष्ण ने अपना नाम दिया और कलयुग के देव का वरदान दिया। भगवान श्रीकृष्ण ने उनके शीश को अमृत से सींचा था। श्रीखाटू नरेश के जन्म से पहले, उपरांत और वर्तमान की महत्ता के बारे भगवत कथा में बताया जाएगा।