आईआईटी रुड़की की योजना पर अमल हुआ तो चंबल नहर ठप हो जाएगी, चंबल के वन्यजीवों के लिए भी हो जाएगी मुश्किल
आगरा। आईआईटी रुड़की ने चम्बल नदी में उपलब्ध सीमित जलराशि में से भी जल शून्य उटंगन नदी पर डैम बनाकर जल संचय की जो योजना बनाई गई है, उस पर अमल हुआ तो बाह क्षेत्र में सिंचाई का संकट खड़ा हो जाएगा, क्योंकि पानी की कमी से जूझ रही चंबल का पानी इस डैम की ओर मोड़ा गया तो चम्बल डाल नहर परियोजना का संचालन बंद करना पड़ेगा।
पूर्व मंत्री राजा महेंद्र अरिदमन सिंह ने कहा है कि उटंगन पर डैम बनाकर जल संचय की योजना पूरी तरह अव्यवहारिक है। उटंगन के प्रस्तावित डैम से पानी फतेहपुर सीकरी विकास खंड ले जाये जाने का कार्य होगा। इस योजना के बारे में जब से जानकारी मिली है, बाह तहसील के किसानों और चम्बल नेशनल सेंचुरी की बेहतरी के लिये सक्रिय रहने प्रबुद्धजन असमंजस में पड गये हैं।
उन्होंने कहा कि रुड़की विवि की यह योजना स्थानीय हितों को नजरअंदाज कर बनाई गई है, जिसके दूरगामी नकारात्मक परिणाम ही आयेंगे। इसका वे अपने क्षेत्र के हित में विरोध करेंगे। यही नहीं, क्षेत्र के लोग लगातार उनसे इस संबंध में मिल रहे हैं।
राजा अरिदमन सिंह ने कहा कि बाह उनकी कर्मभूमि है, इसलिये वह इस मुद्दे पर खामोश होकर नहीं बैठ सकते। उन्होंने कहा कि कई बार यहां के विधायक के रूप में विधान सभा में रहे हैं और राज्य मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व किया है। वर्तमान में उनकी पत्नी रानी पक्षालिका सिंह यहां की विधायक हैं। उन्होंने कहा कि चम्बल पहले से ही अति दोहित नदी है, इसलिये अगर इसके दोहन की कोई नई कोशिश हुई तो वह शासन में इसका कड़ा विरोध जताएंगे।
राजा अरिदमन सिंह ने भदावर हाउस में सिविल सोसायटी आगरा के सेक्रेटरी अनिल शर्मा, सदस्य राजीव सक्सेना, असलम सलीमी के साथ जनपद की जल समस्या पर चर्चा करते हुए कहा कि चम्बल नदी के पानी का दस प्रतिशत आगरा से होकर गुजरने वाले टेल वाले भाग के लिये आवंटित है। इसी जलराशि में से 450 क्यूसेक बाह के लिये पानी की आपूर्ति होती है। इसी में से राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य के यू.पी. में विस्तृत 635 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र लिये जल उपलब्धता सुनिश्चित होती है। उन्होंने कहा कि नदी में 111 मीटर से पानी कम होते ही सेंचुरी के जलचरों की स्वाभाविक वृत्तियां प्रभावित होने लगती हैं।
उन्होंने कहा कि चम्बल डाल लिफ्ट इरीगेशन प्रोजेक्ट की वजह से बाह, पिनाहट, जैतपुर आदि तीनों विकास खंडों में किसान एक बार पुन:खेती-किसानी के उन्मुख हुए हैं।
पूर्व मंत्री ने कहा कि चंबल में पानी की कमी होने पर साफ पानी में पनपने वाली डॉल्फिन और घडियालों के लिए प्रतिकूल स्थितियां उत्पन्न होने लगती हैं। निगरानी नौकओं का संचालन तक मुश्किल भरा हो जाता है, जिसका फायदा अवैध शिकार करने वाले और चम्बल सैंड का खनन करने वाले उठाया करते हैं।
पूर्व मंत्री ने कहा कि सामान्यत:मार्च या अप्रैल के पहले सप्ताह तक नदी में जलस्तर 111 मीटर तक बना रहता था, लेकिन अब फरवरी का दूसरा सप्ताह गुजरते ही नदी में पानी की बेहद कमी हो गई है। लोग पैदल या साइकिलों के साथ नदी पार करते देखे जा सकते हैं।