आगरा | गोवर्धन धाम में आस्था, भक्ति और दिव्यता का ऐसा अनुपम दृश्य साकार हुआ, जिसने हर श्रद्धालु के मन को भाव-विभोर कर दिया। 2100 दीपों की आलोकित शयन आरती के साथ श्री गिरिराज महाराज के छप्पन भोग मनोरथ उत्सव का भावपूर्ण समापन हुआ, जहां प्रत्येक क्षण भक्ति और समर्पण की पराकाष्ठा का साक्षी बना।
श्री गिरिराज जी सेवक मंडल परिवार, आगरा के तत्वावधान में श्री गुरु काष्र्णि आश्रम (बड़ी परिक्रमा मार्ग, आन्योर) में आयोजित दो दिवसीय श्री गिरिराज जी 56 भोग मनोरथ उत्सव का समापन अत्यंत श्रद्धा और आध्यात्मिक वैभव के साथ संपन्न हुआ। समापन अवसर पर ठाकुर श्री गिरिराज महाराज की 2100 दीपों से भव्य शयन आरती की गई।
इस अलौकिक शयन आरती के दौरान संपूर्ण वातावरण दीपों की उजास, शंख-नाद, घंटियों की मधुर ध्वनि और जयघोषों से गुंजायमान हो उठा। हरिओम महाराज के पावन सानिध्य में चरण सेवकों ने विधि-विधान से ठाकुर जी की शयन आरती उतारी। भक्तों की नम आंखें और भाव-विभोर मन इस दिव्य क्षण के सजीव साक्षी बने।
शयन आरती से पूर्व रात्रिकालीन सेवा के अंतर्गत ठाकुर जी को चांदी के पात्र में अमृतुल्य दुग्ध का विशेष भोग अर्पित किया गया। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ संपन्न इस सेवा ने पूरे परिसर को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। 1101 दीपों की ज्योति से आलोकित गर्भगृह और आरती का दृश्य देखकर श्रद्धालु भाव-विह्वल हो उठे, मानो स्वयं गिरिराज महाराज भक्तों के हृदय में विराजमान हो गए हों।
शयन आरती के पश्चात श्रद्धालुओं ने साष्टांग दंडवत कर सुख-समृद्धि, शांति और कल्याण की प्रार्थना की। आयोजकों ने बताया कि यह शयन आरती केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भक्ति, सेवा और समर्पण का जीवंत प्रतीक रही, जिसने दो दिवसीय 56 भोग मनोरथ उत्सव को दिव्यता की चरम सीमा तक पहुंचाया।
इस प्रकार गोवर्धन धाम में 2100 दीपों की शयन आरती के साथ श्री गिरिराज महाराज के छप्पन भोग मनोरथ उत्सव का समापन गिरिराज जी की अपार कृपा और भक्तों की अटूट आस्था के साथ भावपूर्ण रूप से संपन्न हुआ।
