आगरा। आगरा में पकड़े गए धर्मांतरण गिरोह की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने आज प्रेस कॉन्फ़्रेंस में बताया कि इस गिरोह के तार पाकिस्तान से जुड़े हैं। पाकिस्तानी यूट्यूबर तनवीर अहमद और साहिल अदीम धर्मांतरण कराने वाली युवतियों से सीधे संपर्क में थे। ये दोनों इस्लामिक वीडियो, पॉडकास्ट और धार्मिक विमर्श के जरिए ब्रेनवॉश करते थे। पाकिस्तान से वीडियो कॉल्स, इस्लाम पर आधारित विचार और तर्कों से प्रभावित करने का काम किया जाता था।
पुलिस आयुक्त ने बताया कि आगरा में इस गिरोह की गतिविधियों से जुड़ा रहमान कुरैशी महज़ 12वीं पास है, लेकिन साइबर स्पेस में इसकी गतिविधियां बेहद शातिर थीं। वह ‘द सुन्नाह’ नाम से एक यूट्यूब चैनल चला रहा था और अंग्रेज़ी में इस्लामिक पॉडकास्ट करता था। जांच में सामने आया कि उसने क्राउड फंडिंग के जरिए फिलीस्तीन को आर्थिक सहायता भी भेजी थी। पुलिस ने उसके पास से डॉलर और क्रिप्टो करेंसी का लेन-देन भी बरामद किया है।
पूछताछ में पता चला कि गिरोह के सदस्य 14 से 25 वर्ष की उम्र के हिंदू लड़के-लड़कियों को निशाना बनाते थे। इसके लिए पाकिस्तान से संचालित ऑनलाइन गेम ‘लूडो स्टार’ का इस्तेमाल किया जाता था। युवाओं से गेमिंग के बहाने संपर्क किया जाता, फिर धार्मिक वीडियो, लिंक और मैसेज भेजकर बातचीत का सिलसिला शुरू होता। धीरे-धीरे उन्हें मानसिक रूप से प्रभावित किया जाता।
बकौल पुलिस कमिश्नर, पुलिस द्वारा रेस्क्यू की गई युवतियों ने बताया कि सबसे पहले कश्मीर की कुछ मुस्लिम युवतियों ने उनसे दोस्ती की। वे उन्हें परिवार, धर्म और जीवन की आज़ादी के नाम पर भड़काने लगीं। जब उन्हें लगता कि युवती पूरी तरह उनके प्रभाव में आ गई है, तो उन्हें पाकिस्तान से जुड़े युवकों से जोड़ा जाता और इस्लाम धर्म को अपनाने की प्रक्रिया शुरू होती।
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया केवल भावनात्मक नहीं थी, बल्कि बौद्धिक विमर्श के नाम पर युवतियों को बहकाया जाता था। पाकिस्तानी नेटवर्क उन्हें इस्लाम की अच्छाइयों के बारे में बताता, बहसों में शामिल करता और फिर मजहबी आधार पर उनका माइंडशिफ्ट करता था।
उन्होंने बताया कि अब तक 14 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। सभी का सीधा संबंध गिरोह के सरगना अब्दुल रहमान और आयशा उर्फ एसबी कृष्णा से रहा है। पुलिस ने कहा कि यह गिरोह एक संगठित नेटवर्क की तरह काम करता था, जिसमें डिजिटल प्रचार, काउंसलिंग, ब्रेनवॉश और लॉजिस्टिक सपोर्ट तक की व्यवस्था थी।