निगरानी से शोषण तक: सार्वजनिक सीसीटीवी कैमरे अब बनते जा रहे ब्लैकमेलिंग का जरिया

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लखनऊ। अपराध नियंत्रण और कानून-व्यवस्था की निगरानी के लिए लगाए गए सीसीटीवी कैमरे अब खुद अपराध का माध्यम बनते दिख रहे हैं। एक्सप्रेसवे, ट्रेनों और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर लगे कैमरों की निगरानी कर रहा स्टाफ ही फुटेज का दुरुपयोग कर बदनामी का डर दिखाते हुए ब्लैकमेलिंग कर रहा है। सार्वजनिक स्थानों पर प्रेम प्रदर्शन या निजी क्षणों के वीडियो लीक होने की घटनाएं बढ़ रही हैं। सीसीटीवी पर नजर रखने वाले कर्मियों की नीयत पर उठते सवालों के बीच यह गंभीर चिंता बन गई है कि ऐसे मामलों पर प्रभावी लगाम कैसे लगे।

नमो भारत ट्रेन मामला: लीक वीडियो ने बढ़ाई जवाबदेही पर बहस

सीसीटीवी फुटेज के दुरुपयोग का ताजा मामला नमो भारत ट्रेन से सामने आया है। चलती ट्रेन में एक युवक-युवती का आपत्तिजनक वीडियो लीक हुआ। ट्रेन संचालन से जुड़ी संस्था एनसीआरटीसी ने इस प्रकरण में अपने कर्मचारी के साथ-साथ युवक-युवती के खिलाफ सार्वजनिक स्थान पर अश्लील हरकत का मुकदमा दर्ज कराया। नवंबर का वीडियो दिसंबर में सामने आने के बाद संबंधित कर्मचारी को बर्खास्त कर दिया गया।

युवक-युवती की पहचान सार्वजनिक नहीं की गई है; दोनों के एक ही कॉलेज के छात्र होने की बात कही जा रही है। वीडियो वायरल होने के बाद वे और उनके परिजन मानसिक दबाव में हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि स्टाफ ने ब्लैकमेलिंग के उद्देश्य से उनसे संपर्क किया था या नहीं—वीडियो लीक करने की मंशा पुलिस जांच का विषय बनी हुई है।

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे प्रकरण: निजी पलों के बदले वसूली का आरोप

सुल्तानपुर के हलियापुर क्षेत्र में दिसंबर की शुरुआत में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर लगे सीसीटीवी से एक दंपती के वीडियो निकालकर ब्लैकमेल करने और पैसे वसूलने के आरोप सामने आए। मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचने पर टोल स्टाफ को बर्खास्त किया गया। स्थानीय लोगों ने योगी आदित्यनाथ से शिकायत की थी।

आरोप था कि संबंधित कर्मचारी ने नवविवाहित जोड़े के एक वीडियो के आधार पर 32 हजार रुपये वसूले। साथ ही ट्रक चालकों और अन्य मामलों में भी इसी तरह की वसूली की बातें सामने आईं। कर्मचारी को हटाया गया, लेकिन सीसीटीवी फुटेज के ब्लैकमेलिंग में दुरुपयोग की प्रवृत्ति थमती नहीं दिख रही।

दिल्ली–मुंबई एक्सप्रेसवे विवाद: वायरल फुटेज और कथित उगाही

मई में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर सड़क किनारे आपत्तिजनक कृत्य का वीडियो वायरल हुआ, जिसमें मध्य प्रदेश के नेता मनोहर लाल धाकड़ का नाम सामने आया। आरोप लगे कि वीडियो के बदले एक लाख रुपये की मांग की गई, हालांकि 20 हजार रुपये लेने के बाद फुटेज लीक कर दिया गया। बाद में कार्रवाई के दौरान धाकड़ ने वीडियो में स्वयं के होने से इनकार किया। इस प्रकरण में भी टोल स्टाफ पर कार्रवाई हुई।

बढ़ता सवाल: सिस्टम की खामियां और सुधार की जरूरत

लगातार सामने आ रहे मामलों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि निगरानी प्रणाली में आंतरिक नियंत्रण, डेटा सुरक्षा और स्टाफ की जवाबदेही मजबूत किए बिना सीसीटीवी का उद्देश्य विफल हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि कड़े एक्सेस कंट्रोल, फुटेज हैंडलिंग के स्पष्ट प्रोटोकॉल, नियमित ऑडिट और कठोर दंडात्मक प्रावधान ही इस दुरुपयोग पर प्रभावी अंकुश लगा सकते हैं।

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