आगरा में बीस साल का इंतज़ार: न स्टेडियम मिला, न स्पोर्ट्स कॉलेज को जमीन

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आगरा: इसे आगरा का दुर्भाग्य कहा जाए या व्यवस्था की उदासीनता, जहां एक ओर पिछले करीब बीस वर्षों से अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम की मांग सरकारी फाइलों में उलझी पड़ी है, वहीं दूसरी ओर शासन से स्वीकृत स्पोर्ट्स कॉलेज के लिए भी अब तक जमीन तय नहीं हो सकी है। खेलों के विकास की बात करने वाली ताजनगरी आज भी उम्मीद और निराशा के बीच झूलती नजर आ रही है।

दो दशकों से अधूरी चाहत

अंतरराष्ट्रीय पहचान रखने वाले शहर आगरा में अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम का सपना नया नहीं है। बीते बीस वर्षों में कई बार प्रस्ताव बने, बैठकों और सर्वेक्षणों का दौर चला, लेकिन हर बार जमीन की अनुपलब्धता आड़े आ गई। नतीजा यह रहा कि स्टेडियम की फाइल आगे नहीं बढ़ सकी और खिलाड़ी केवल आश्वासन ही पाते रहे।

नई कोशिशों से जगी आस

वर्तमान मंडलायुक्त शैलेंद्र कुमार सिंह इस दिशा में व्यक्तिगत रुचि लेकर प्रयास कर रहे हैं। आगरा विकास प्राधिकरण से जमीन को लेकर सैद्धांतिक सहमति बनवाई जा चुकी है और शासन स्तर पर भी संपर्क साधा गया है। उनका मानना है कि यदि ताजनगरी में अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम बनता है तो विदेशी खिलाड़ी ताजमहल देखने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए भी आगरा आएंगे। हालांकि, यह सवाल अब भी बना हुआ है कि क्या ये प्रयास हकीकत बन पाएंगे या फिर कागजों तक ही सीमित रह जाएंगे।

सेवानिवृत्ति से पहले बड़ी पहल का इरादा

मंडलायुक्त शैलेंद्र कुमार सिंह वर्ष 2000 से पहले आगरा में एसडीएम सदर के रूप में कार्य कर चुके हैं और जनवरी 2026 में उनकी सेवानिवृत्ति भी आगरा से ही प्रस्तावित है। यही कारण है कि वे अपने कार्यकाल के अंत से पहले आगरा को अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम जैसी बड़ी सौगात देने की इच्छा रखते हैं।

स्पोर्ट्स कॉलेज पर भी असमंजस

आश्चर्य की बात यह है कि आगरा के लिए स्पोर्ट्स कॉलेज को शासन स्तर से मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से इसे लेकर खास गंभीरता नजर नहीं आ रही। कॉलेज के लिए लगभग 50 एकड़ भूमि की आवश्यकता है, लेकिन न तो शहरी क्षेत्र में जमीन उपलब्ध कराई जा रही है और न ही कोई ठोस विकल्प सामने आया है।

दूसरे जिलों की ओर खिसकता प्रोजेक्ट

भूमि की कमी के चलते देहात क्षेत्रों के साथ-साथ मंडल के अन्य जिलों—मथुरा, फिरोजाबाद और मैनपुरी—में जमीन की तलाश की जा रही है। आशंका जताई जा रही है कि यदि आगरा में जल्द जमीन उपलब्ध नहीं कराई गई, तो स्पोर्ट्स कॉलेज किसी अन्य जिले को मिल सकता है।

पहले भी ठंडी पड़ीं योजनाएं

यह पहला मौका नहीं है जब आगरा में खेल परियोजनाएं अटकी हों। पूर्व मंडलायुक्त रितु माहेश्वरी के कार्यकाल में अजीतनगर गेट–खेरिया मोड़ क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम को लेकर ठोस पहल हुई थी, लेकिन मामला न्यायालय में पहुंचने के बाद योजना ठप हो गई। इससे पहले खंदारी क्षेत्र में विश्वविद्यालय की भूमि पर अंतरराष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम का प्रस्ताव भी आपसी असहमति के कारण आगे नहीं बढ़ सका।

खिलाड़ियों की प्रतिभा, संसाधनों की कमी

आज हालात यह हैं कि आगरा के खिलाड़ी एकलव्य स्टेडियम जैसे सीमित सुविधाओं वाले मैदानों में अभ्यास करने को मजबूर हैं, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरे नहीं उतरते। ताजनगरी में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, कमी है तो केवल संसाधनों और इच्छाशक्ति की। ऐसे में सवाल उठता है कि बिना मजबूत खेल ढांचे के यहां के खिलाड़ियों के सपने आखिर कैसे पूरे होंगे।

साभार -ओरगुरु डॉट कॉम

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