आगरा में सपा ने चला पीडीए कार्ड, ऊदल कुशवाहा जिलाध्यक्ष और शब्बीर अब्बास महानगर अध्यक्ष नियुक्त

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आगरा। आगामी पंचायत चुनावों से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) ने आगरा संगठन में बड़ा बदलाव करते हुए अपनी चुनावी रणनीति के स्पष्ट संकेत दे दिए हैं। पार्टी ने पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले के तहत संगठनात्मक संतुलन साधते हुए नए पदाधिकारियों की नियुक्ति की है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर प्रदेश अध्यक्ष द्वारा ऊदल सिंह कुशवाहा को आगरा जिलाध्यक्ष और शब्बीर अब्बास को महानगर अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इस संबंध में पार्टी की ओर से आधिकारिक पत्र भी जारी कर दिया गया है।

सपा नेतृत्व का यह कदम पंचायत चुनाव से पहले सामाजिक समीकरणों को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। राजनीतिक रूप से अहम आगरा जिले में पार्टी ने जातीय और वोट बैंक संतुलन को ध्यान में रखते हुए संगठन को नए सिरे से गढ़ने का प्रयास किया है।

ओबीसी वोट बैंक पर फोकस

नव नियुक्त जिलाध्यक्ष ऊदल सिंह कुशवाहा सपा के पुराने और अनुभवी नेता माने जाते हैं। वे पूर्व में जिला उपाध्यक्ष रह चुके हैं और पार्टी के टिकट पर उत्तरी विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ चुके हैं। भले ही उस चुनाव में उन्हें हार मिली हो, लेकिन संगठनात्मक अनुभव और ओबीसी समाज में उनकी पकड़ को देखते हुए पार्टी ने उन्हें अहम जिम्मेदारी सौंपी है। सपा नेतृत्व का मानना है कि पंचायत चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग की भूमिका निर्णायक होगी और कुशवाहा के नेतृत्व में इस वर्ग को एकजुट किया जा सकेगा।

महानगर में अल्पसंख्यक वोटों पर नजर

आगरा महानगर में मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए शब्बीर अब्बास को महानगर अध्यक्ष बनाया गया है। उनका राजनीतिक सफर कांग्रेस से शुरू होकर बसपा तक रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में वे बसपा के टिकट पर उत्तर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। सपा को उम्मीद है कि उनकी नियुक्ति से महानगर क्षेत्र में अल्पसंख्यक मतदाताओं के बीच पार्टी का जनाधार मजबूत होगा।

नई रणनीति के संकेत

संगठन में यह बदलाव सपा की नई चुनावी रणनीति को दर्शाता है। पार्टी पंचायत चुनावों से पहले ही पीडीए फॉर्मूले को जमीनी स्तर पर उतारने की तैयारी में है। ओबीसी और अल्पसंख्यक नेतृत्व को आगे कर सपा न केवल अपने पारंपरिक वोट बैंक को मजबूत करना चाहती है, बल्कि भाजपा के सामाजिक समीकरणों को भी चुनौती देने की रणनीति पर काम कर रही है।

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, आगरा में हुए ये बदलाव आने वाले दिनों में जिला और महानगर स्तर पर संगठनात्मक सक्रियता को तेज करेंगे और इसका सीधा असर पंचायत चुनावों में देखने को मिल सकता है।

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