दिल्ली में ऑर्थोट्रेंड्स 2025 का शानदार आगाज, विशेषज्ञों ने रोबोटिक सर्जरी और जॉइंट रिप्लेसमेंट के क्षेत्र में नई संभावनाओं पर किया विमर्श

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नई दिल्ली: दुनियाभर के शीर्ष ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञों के बहुप्रतीक्षित सम्मेलन ‘ऑर्थोट्रेंड्स 2025’ का आज दिल्ली के ईरोस होटल, नेहरू प्लेस में भव्य शुभारंभ हुआ। यह दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन नवीनतम तकनीकों, रोबोटिक सर्जरी, बोन हेल्थ, इम्प्लांट साइंस और क्लीनिकल इनोवेशन पर केंद्रित है। इस कार्यक्रम में दुनियाभर से आए 50 से ज्यादा विशेषज्ञ और 500 से अधिक प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं।

ऑर्थोट्रेंड्स 2025 में रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी पर विशेष सत्र रखा गया। विशेषज्ञों ने बताया कि रोबोटिक सर्जरी से पारंपरिक सर्जरी की तुलना में कहीं अधिक सटीक, कम इनवेसिव, बेहतर परिणाम और तेज रिकवरी होती है। रोबोटिक सिस्टम माइक्रो-लेवल पर हड्डी की कटिंग और इम्प्लांट पोज़िशनिंग को इतने परफेक्ट तरीके से नियंत्रित करता है कि आगे चलकर मरीज को न्यूनतम परेशानी होती है।

सम्मेलन में शैल्बी हॉस्पिटल्स द्वारा संचालित उन्नत टिश्यू बैंक पर भी चर्चा हुई। यह टिश्यू बैंक बोन और टिश्यू रीजनरेशन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहां उच्च स्तर की सुरक्षा, वैज्ञानिक प्रोसेसिंग और गुणवत्ता के मानकों का पालन किया जाता है। इससे हजारों मरीजों के जीवन में उम्मीद की नई किरण दिखी है। सम्मेलन में यह बात भी सामने आई कि यहां उपयोग किए जाने वाले सभी इम्प्लांट यूएसएफडीए अप्रूव्ड हैं और अमेरिका से आयात किए जाते हैं। इससे मरीजों को अधिक टिकाऊ, अधिक सुरक्षित और वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित इम्प्लांट मिलते हैं, जिनसे अच्छा परिणाम मिलता है।

अपने संबोधन में डॉ. विक्रम शाह ने कहा कि ऑर्थोट्रेंड्स का उद्देश्य भारत में वैश्विक ऑर्थोपेडिक एक्सीलेंस को मजबूती देना है। उन्होंने बताया कि यह मंच दुनिया के श्रेष्ठ अनुभवों, आधुनिक तकनीकों, नई खोजों और सर्जिकल इनोवेशन को साझा करने का अवसर प्रदान करता है, ताकि हर सर्जन बेहतर परिणाम दे सके और मरीजों को विश्वस्तरीय उपचार मिल सके।

कार्यक्रम के दौरान एक महत्वपूर्ण सत्र में विशेषज्ञों ने बताया कि भारत में विशेषकर महिलाओं में बीएमआई तेजी से बढ़ रहा है। यही बढ़ता हुआ वजन घुटने तथा जोड़ो की बीमारियों का एक प्रमुख कारण बन चुका है। अध्ययनों और क्लीनिकल अनुभव के आधार पर यह सामने आया है कि घुटनों और अन्य आर्थोडिक समस्याओं से जूझ रहे 100 मरीजों में करीब 80% महिलाएं हैं। मोटापा, हार्मोनल बदलाव, कैल्शियम की कमी और कम शारीरिक गतिविधियों के संयुक्त प्रभाव के कारण समस्या बढ़ रही है।

सम्मेलन में स्पष्ट रूप से यह संदेश दिया गया कि आज हड्डियों की समस्याओं का सबसे बड़ा कारक लाइफस्टाइल है। लंबे समय तक बैठकर काम करना, मोबाइल एवं स्क्रीन-टाइम, कम व्यायाम, असंतुलित भोजन, नींद की अनियमितता और पोषण की कमी—ये सभी कारण समय से पहले हड्डियों को कमजोर कर रहे हैं। विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए सही आहार बेहद महत्वपूर्ण है।

उन्होंने सलाह दी कि लोग अपने भोजन में कैल्शियम से भरपूर आहार, पर्याप्त प्रोटीन, विटामिन डी, नट्स-सीड्स और हरी सब्जियों को शामिल करें। नियमित धूप भी बहुत जरूरी है। इससे हड्डियां मजबूत होती हैं और जोड़ो की सूजन व घिसावट से बचाव होता है।

-up18News

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