आगरा। हरीपर्वत थाना क्षेत्र से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहाँ 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला प्रभा तोमर ने अपने ही बेटे-बहू और दो अन्य लोगों पर संपत्ति हड़पने, धोखाधड़ी, धमकी और मानसिक उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने बीएनएस की कई सख्त धाराओं में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। मामला इसलिए और संवेदनशील है क्योंकि इसमें एक मां को अपनी ही संतान से सुरक्षा और न्याय मांगना पड़ रहा है।
संपत्ति हड़पने की साजिश का आरोप
बुजुर्ग प्रभा तोमर का कहना है कि उनका बेटा संजय तोमर और बहू मोनिका तोमर उनकी जीवनभर की मेहनत से जोड़ी गई संपत्ति पर कब्जा करने की साजिश रच रहे हैं। उनके मुताबिक दोनों ने एक दान विलेख (Gift Deed) उनके नाम से अपने नाम पर रजिस्ट्री करा ली, जबकि उन्होंने कभी भी अपनी संपत्ति किसी को दान नहीं की। बुजुर्ग महिला ने व्यथित होकर कहा—“मैंने न कभी दान किया, न अनुमति दी… मेरे साथ धोखा हुआ है।”
बंधक संपत्ति को ‘दान में’ दिखाया गया
महिला ने यह भी बताया कि जिस संपत्ति को दान में दिखाया गया है, वह HDFC बैंक में मॉर्गेज (गिरवी) है। दस्तावेज बैंक में जमा होने के बावजूद उसका दान में रजिस्ट्री होना कई बड़े सवाल खड़े करता है। उन्होंने इसे सीधी-सीधी धोखाधड़ी बताया।
20 लाख के गहने गायब होने का आरोप
पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया कि उनके लगभग 20 लाख रुपये मूल्य के सोने के आभूषण गायब कर दिए गए हैं, जिन्हें बाद में बेच दिए जाने की आशंका है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी ये गहने बेटे या बहू को नहीं सौंपे। महिला ने दो अन्य लोगों—अनन्या तिवारी और मोहित डाम्बरा—पर भी इस साजिश का हिस्सा होने का आरोप लगाया है।
धमकियां और मानसिक उत्पीड़न
श्रीमती तोमर ने बताया कि आरोपियों ने उन्हें कई बार धमकाया और शिकायत करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि वह सुरक्षा को लेकर डरी हुई हैं और न्याय की उम्मीद में कानून का सहारा ले रही हैं।
अदालत के आदेश पर दर्ज हुई एफआईआर
मामले की गंभीरता और पीड़िता के आरोपों को देखते हुए अदालत ने तत्काल एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए। इसके बाद हरीपर्वत थाना पुलिस ने धोखाधड़ी, धमकी, साजिश और अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर विस्तृत जांच शुरू कर दी है।
यह मामला न केवल कानूनी दृष्टि से जटिल है, बल्कि मानवीय संवेदनाओं को भी झकझोर देने वाला है—जहाँ एक मां को अपने ही घरवालों से न्याय पाने के लिए पुलिस और अदालत की शरण लेनी पड़ी।
