‘पुष्पा इम्पॉसिबल’ में बड़ा ड्रामा: दीप्ति का बलिदान बना दर्द की वजह, कादंबरी की साजिश से मचेगा हंगामा!

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मुंबई: सोनी सब का ‘पुष्पा इम्पॉसिबल’ अपने प्रेरणादायक कथानक और भावनाओं से भरे पात्रों के ज़रिए दर्शकों के दिलों को छू रहा है। जैसे-जैसे पुष्पा (करुणा पांडे) वकील बनने का सपना पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ती हैं, उन्हें कई नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो न केवल उनकी दृढ़ता बल्कि उनके प्रिय रिश्तों की परीक्षा भी लेते हैं।

जब दीप्ति (गरिमा परिहार) को पता चलता है कि प्रार्थना मां नहीं बन सकती, तो वह एक बड़ा और निस्वार्थ निर्णय लेती है — अपने गर्भ में पल रहे जुड़वां बच्चों में से एक को प्रार्थना को देने का। लेकिन उसका यह नेक कदम परिवार में उथल-पुथल मचा देता है। जब बापोदरा (जयेश भरभया) बच्चे के लिए कानूनी दस्तावेज़ की बात करते हैं, तो अश्विन (समृद्ध बावा) गुस्से से बेकाबू हो जाता है और दीप्ति के फैसले को लेकर भीतर ही भीतर टूट जाता है।

इसी बीच, प्रार्थना को उसके आईपीएस प्रशिक्षण के लिए बुलावा आता है। अपने कर्तव्य और दीप्ति के त्याग के बीच उलझी प्रार्थना दीप्ति से कहती है कि अब उसे उसके बच्चे की ज़रूरत नहीं, क्योंकि उसका नया सफर शुरू होने जा रहा है। अगले ही दिन दीप्ति को प्रसव पीड़ा होती है — लेकिन उसे यह पता नहीं होता कि कादंबरी (ब्रिंदा त्रिवेदी) ने एक भयावह योजना रच ली है। एक चौंकाने वाले मोड़ में, कादंबरी अस्पताल के स्टाफ के साथ मिलकर दीप्ति के नवजात बच्चों में से एक को चुराने और अपने झूठे गर्भ की कहानी रचने की साजिश करती है।

अब सवाल यह है — क्या कादंबरी अपनी इस घिनौनी चाल में सफल होगी? और जब पुष्पा को इस सच्चाई का पता चलेगा, तो वह क्या कदम उठाएंगी?

दीप्ति की भूमिका निभा रहीं गरिमा परिहार ने इस भावनात्मक ट्रैक पर बात करते हुए कहा, “दीप्ति के जीवन का यह दौर दर्द, साहस और बलिदान से भरा हुआ है। एक मां के रूप में उसका स्वभाव निस्वार्थ प्रेम देने का है, और प्रार्थना को अपने जुड़वां बच्चों में से एक देना उसी मातृत्व भावना से प्रेरित था। लेकिन जब परिस्थितियाँ उसके खिलाफ जाती हैं, तो वह दर्द और भी गहरा हो जाता है। इस ट्रैक को निभाते हुए मुझे यह एहसास हुआ कि मां की भावनाएँ कितनी प्रबल होती हैं — वह सब कुछ दे सकती है, भले ही उसे खुद का एक हिस्सा खोना पड़े।”

इस पर कादंबरी की भूमिका निभा रहींब्रिंदा त्रिवेदी ने कहा, “कादंबरी के कदम भले ही क्रूर लगते हों, लेकिन वे उसकी गहरी असुरक्षा और भावनात्मक उथल-पुथल से उपजे हैं। वह खुद को और दुनिया को कुछ साबित करने की बेचैनी में है, भले ही इसके लिए उसे नैतिक सीमाएं पार करनी पड़ें। उसके किरदार का यह चरण बहुत जटिल है — वह चालाक है, असुरक्षित है और अप्रत्याशित भी। एक अभिनेत्री के रूप में इस निराशा और अंधकार के बीच की बारीक रेखा को निभाना चुनौतीपूर्ण और रोमांचक दोनों है।”

देखिए ‘पुष्पा इम्पॉसिबल’, हर सोमवार से शनिवार रात 9:30 बजे, सिर्फ सोनी सब पर

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