Agra News: लावारिस मिला नीलगाय का छोटा बच्चा, वाइल्डलाइफ एसओएस ने सुरक्षित बचाया और पुनर्वास किया !

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आगरा: वाइल्डलाइफ एसओएस ने हाल ही में आगरा के किरावली छेत्र स्थित गहारा कलां गाँव में एक मादा नीलगाय के बच्चे को बचाया, जिसकी उम्र लगभग दस दिन है। स्थानीय ग्रामीणों ने इस बच्चे को खेत में अकेला देखा, जिसके पश्च्यात उसकी माँ को आस-पास छेत्र में तलाशा गया परंतु वह नहीं मिली। आनन फानन में इसकी सूचना वन विभाग को दी गई, जिन्होंने तत्काल सहायता के लिए वाइल्डलाइफ एसओएस की आपातकालीन बचाव हेल्पलाइन (+91 9917109666) पर संपर्क किया।

वाइल्डलाइफ एसओएस की विशेष रेस्क्यू टीम बछड़े को सुरक्षित रूप से एनजीओ की ट्रांजिट सुविधा तक पहुँचाने के लिए मौके पर पहुँची, जहाँ वह अब निरंतर पशु चिकित्सा देखभाल और निगरानी में है। सौभाग्य से, बछड़े को कोई चोट नहीं आई, लेकिन उसकी कम उम्र के कारण, उसे चौबीसों घंटे देखभाल की आवश्यकता है।

वाइल्डलाइफ एसओएस की पशु देखभाल टीम बछड़े को हर तीन घंटे में पोषक तत्वों से भरपूर दूध का विशेष आहार दे रही है, ताकि उसकी उचित वृद्धि और विकास सुनिश्चित हो सके। इस ट्रांजिट फैसिलिटी में सुरक्षित और पोषणयुक्त वातावरण के साथ, बछड़े को एक नया घर मिला है, जहाँ उसका स्वास्थ्य और कल्याण सुनिश्चित किया जाएगा।

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “इस तरह के रेस्क्यू मानवीय संवेदना और समय पर हस्तक्षेप के महत्व को उजागर करते हैं। अकेले और असहाय छोड़े गए एक छोटे जानवर को अब जीवन जीने का दूसरा मौका मिला है। हम इस बछड़े की सुरक्षा सुनिश्चित करने में वन विभाग और स्थानीय ग्रामीणों की त्वरित प्रतिक्रिया के लिए उनके आभारी हैं।”

वाइल्डलाइफ एसओएस में पशु चिकित्सा सेवाओं के उप निदेशक, डॉ. एस. इलियाराजा ने कहा, “इतनी कम उम्र में, नीलगाय के बछड़े की प्रतिरक्षा प्रणाली अभी भी विकसित हो रही है, जिससे वह संक्रमण और निर्जलीकरण के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। हमारी टीम उसके स्वास्थ्य पर बारीकी से नज़र रख रही है और उसे माँ के पोषण के अनुरूप एक विशेष दूध का फॉर्मूला भी दे रही है। समर्पित देखभाल के साथ, हम उसके स्वास्थ्य और भविष्य को लेकर आशान्वित हैं।”

नीलगाय या ब्लू बुल (बोसेलाफस ट्रैगोकैमेलस) भारत में स्थानिक है और सबसे बड़ा एशियाई मृग है। इस प्रजाति को शिकार, मानव-वन्यजीव संघर्ष, वनों की कटाई, दुर्घटनाओं और आवास में कमी के कारण विस्थापन जैसे मानवजनित खतरों का सामना करना पड़ रहा है। नीलगाय को कई उत्तर भारतीय राज्यों में किसानों का दोस्त भी माना जाता है।

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