Agra News: कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और बेटे पर मुकदमा दर्ज, अधिवक्ता अवधेश शर्मा ने मारपीट और धमकी का लगाया आरोप

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ताजनगरी आगरा के कानूनी गलियारों में उस समय हलचल मच गई जब कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और उनके बेटे पर अधिवक्ता अवधेश शर्मा ने गंभीर आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया। अधिवक्ता ने आरोप लगाया है कि उन पर मारपीट की गई और जान से मारने की धमकी दी गई।

जानकारी के अनुसार, अधिवक्ता अवधेश शर्मा कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन अध्यक्ष के दामाद की हत्या का मुकदमा लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि इसी मामले की बहस पूरी करने के बाद जब वह अदालत कक्ष से बाहर निकले तो अचानक उन पर हमला किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह हमला सुनियोजित तरीके से कराया गया ताकि वे इस केस की पैरवी न कर सकें।

अधिवक्ता का दावा है कि पूरा घटनाक्रम दीवानी परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद हो गया है। उन्होंने सबूत के तौर पर इस फुटेज को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि इससे सच्चाई सामने आ जाएगी।

मामले की गंभीरता को देखते हुए अधिवक्ता अवधेश शर्मा ने तहरीर दी। तहरीर के आधार पर न्यायालय ने पुलिस आयुक्त (सीपी) को आदेश अग्रसित करते हुए अधिवक्ता को सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश दिए हैं। अदालत का मानना है कि इस तरह की घटनाएं न सिर्फ अधिवक्ता की सुरक्षा बल्कि न्याय प्रक्रिया पर भी सीधा असर डाल सकती हैं।

दूसरी ओर, कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने इन सभी आरोपों को पूरी तरह से निराधार बताया है। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ यह सब एक सोची-समझी साजिश है। अध्यक्ष ने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए भरोसा जताया कि सच्चाई सामने आने पर वह निर्दोष साबित होंगे।

घटना के बाद अधिवक्ता समाज में खलबली मच गई है। कई अधिवक्ता इसे बेहद गंभीर मामला मानते हुए सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि यदि अधिवक्ता ही अदालत परिसर में सुरक्षित नहीं हैं तो आम नागरिकों की सुरक्षा का भरोसा कैसे दिलाया जा सकता है। वहीं, कुछ अधिवक्ताओं ने आरोपितों को तत्काल गिरफ्तार करने और मामले की पारदर्शी जांच कराने की मांग उठाई है।

इस पूरे प्रकरण ने कानूनी बिरादरी के साथ-साथ शहर की राजनीति में भी हलचल मचा दी है। एक तरफ अधिवक्ता अवधेश शर्मा न्याय और सुरक्षा की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बार अध्यक्ष आरोपों को साजिश बताकर निष्पक्ष जांच की बात कर रहे हैं। अब सबकी निगाहें पुलिस और न्यायालय की जांच पर टिकी हुई हैं कि आखिर सच सामने आने पर किस पक्ष के दावे सही साबित होंगे।

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