भारत का बड़ा कदम, अमेरिकी एयरक्राफ्ट और हथियार खरीद ठंडे बस्ते में, राजनाथ सिंह का यूएस दौरा भी रद्द

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नई दिल्ली। भारत ने अमेरिकी हथियारों और एयरक्राफ्ट की खरीद की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ के बाद केंद्र सरकार की ओर से इसे बड़ा कदम कहा जा रहा है। इसके साथ ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का अमेरिका दौरा भी रद्द कर दिया गया है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में सरकार के तीन अधिकारियों के हवाले से ये दावा किया गया है।

भारत के रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने विदेशी मीडिया की खबरों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, स्ट्राइकर को खरीदने को लेकर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है और जैवलिन मिसाइल की खरीद को लेकर भी अभी तक कोई आधिकारिक प्रस्ताव अमेरिका से नहीं मिला है। इसके अलावा, राजनाथ सिंह की अमेरिकी यात्रा को लेकर कोई तारीख अभी तक सामने नहीं आई है। बताया जाता है कि उनके दौरे को फिलहाल रद्द कर दिया गया है।

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आने वाले हफ्तों में होने वाले अमेरिकी दौरे पर इन हथियारों का सौदा होना था। इनमें जनरल डायनमिक्स के स्ट्राइकर कॉम्बैट व्हीकल, एंटी-टैंक मिसाइल जेवलिन और भारतीय नौसेना के लिए 6 बोइंग पी8I टोही विमानों की खरीद शामिल थी। रिपोर्ट के मुताबिक हथियारों की खरीद का ये सौदा 3.6 बिलियन डॉलर का था, जिस पर फिलहाल प्रश्न चिन्ह लग गया है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार (6 अगस्त, 2025) को रूसी तेल आयात करने के कारण भारत पर लगाए गए 25 परसेंट के अतिरिक्त टैरिफ को दोगुना कर 50 परसेंट करने की घोषणा कर दी। ट्रंप की ओर से भारत पर 50 परसेंट अतिरिक्त टैरिफ की घोषणा अमेरिका के किसी भी व्यापारिक साझेदार पर लागू सबसे ज्यादा टैरिफ रेट्स में से एक है।

हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप का रिकॉर्ड रहा है कि वह अपने घोषित किए गए टैरिफ को जल्द ही वापस ले लेते हैं लेकिन अधिकारियों ने रॉयटर्स से कहा है कि एक बार द्विपक्षीय संबंधों की दिशा और व्यापार नीतियां पूरी तरह स्पष्ट हो जाएं, उसके बाद रक्षा समझौता फिर से शुरू हो सकती है। हालांकि, फिलहाल इसमें किसी तरह की प्रगति नहीं हुई है।

वहीं, भारत ने डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लगाए गए टैरिफ की निंदा करते हुए कहा कि उस अनुचित ढंग से निशाना बनाया जा रहा है, जबकि खुद अमेरिका और यूरोपीय देश अपने हितों को देखते हुए मॉस्को के साथ व्यापार को जारी रखे हुए हैं।

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