आखिर 12 साल के बाद ही क्यो लगता है महाकुंभ का मेला क्या है इसकी कहानी जानिए विस्तार से…

Religion/ Spirituality/ Culture

ऐसी मान्यता है महाकुंभ में स्नान और दान करने से पापों का नाश होता है। हर बारह साल में यह अद्भूद संयोग बनता है जब महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। महाकुंभ में विशाल मेला का आयोजन किया जाता है। जिसमें संगम में नहाने के बाद पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इन चार पवित्र स्थानों पर होता है महाकुंभ का आयोजन

महाकुंभ का आयोजन प्रत्येक बारह साल में देश के चार पवित्र स्थानों पर किया जाता है। यह स्थान है उत्तर प्रदेश का प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। क्या कभी आपने सोचा है महाकुभ का आयोजन 12 साल के बाद ही क्यो किया जाता है। तो चलिए आज जानते है आखिर बारह साल के बाद ही क्यो कुंभ का मेला लगता है और इसकी शुरुआत कैसी हुई और क्या कहानी है।

इसलिए होता है महाकुंभ

पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ था तब समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कुंभ यानी कलश लेकर प्रकट हुए। देवताओं के संकेत पर इंद्र पुत्र जयंत अमृत से भरा कलश लेकर बड़े भागने लगे और असुर जयंत के पीछे भागने लगे। अमृत कलथ की प्राप्ति के लिए देवताओं और दैत्यों के बीच बारह दिन तक भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध के दौरान जिन-जिन स्थानों पर कलश से अमृत की बूंदे गिरी थी वहां कुंभ मेला लगता है। अमृत की बूंदे उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में और हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरी थी। इसलिए इन चारों स्थानों पर कुंभ मेला का आयोजन किया जाता है।

आखिर 12 साल के बाद ही क्यो लगता है कुंभ का मेला क्या है …

महाकुंभ मेला हर 12 साल में इसलिए लगता है क्योंकि यह समुद्र मंथन की पौराणिक कथा और ज्योतिषीय गणनाओं से जुड़ा है। मान्यता है कि अमृत कलश के लिए देवताओं और असुरों के बीच 12 दिनों तक युद्ध हुआ, जो पृथ्वी के समय के अनुसार 12 साल के बराबर माना गया। इस दौरान अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी की चार जगहों प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरीं। इन्हीं पवित्र स्थलों पर हर 12 साल में कुंभ मेले का आयोजन होता है।

ज्योतिष के अनुसार, बृहस्पति के कुंभ राशि में और सूर्य के मेष राशि में प्रवेश के समय ही यह मेला आयोजित किया जाता है, जिससे इसका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व और बढ़ जाता है।कुंभ मेला विश्व का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण जनसमूह है, जहां लाखों श्रद्धालु, साधु-संत, अखाड़ों के महंत और विदेशी पर्यटक शामिल होते हैं।

इतना ही नहीं कुंभ में ध्यान और साधना से आत्मिक शांति प्राप्त होती है और पवित्र स्नान से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह मेला न केवल भारत की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करता है, बल्कि विदेशियों को भारतीय संस्कृति की गहराई से परिचित कराता है। कुंभ मेला मानवता, भक्ति और प्रेम का अनूठा अनुभव है।

साभार सहित


Discover more from Up18 News

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *