काल पाइ मुनि सुनु सोइ राजा, भयउ निसाचर सहित समाजा
दिगनेर के श्रीमनः कामेश्वर बाल विद्यालय में चल रही है श्रीमनःकामेश्वर रामलीला
रामलीला के दूसरे दिन हुआ रावण जन्म, रावण की दोनों भाइयों सहित तपस्या और पृथ्वी पुकार लीला
दिगनेरवासियों को आठ अक्टूबर की राम बरात की प्रतिक्षा, घर− घर में हो रही हैं विशेष तैयारियां
आगरा। धरती पर जब जन्म हुआ रावण का, आरंभ हुआ आतंक का। तपस्या के बल में चूर होकर, संतों से भी वसूलने लगा कर। पृथ्वी जब हो गयी अत्याधिक त्रस्त, की पुकार रक्षा करो हे, नारायण सृष्टि के रक्षक। श्रीराम चरित मानस की चौपाइयों पर आधारित भजनों और प्रसंगों के साथ श्रीमनः कामेश्वरनाथ रामलीला के दूसरे दिन जन्म हुआ आतातायी किंतु प्रचंड ज्ञानी रावण का।
दिगनेर के गढ़ी ईश्वरा स्थित श्रीमनः कामेश्वर बाल विद्यालय में चल रही श्रीमनः कामेश्वरनाथ रामलीला को देखने के लिए प्रतिदिन भारी संख्या में स्थानीय लोगों के साथ शहर से भी भक्तगण पहुंच रहे हैं। दूसरे दिन की लीला का आरंभ श्रीमनः कामेश्वर मठ तिलकायत श्रीमहंत योगेश पुरी, मठ प्रशासक हरिहर पुरी, डॉ. डीएस शुक्ला, आशा शुक्ला, सुधीर कुमार यादव, यतींद्र शर्मा, विजय सिंह, लक्ष्मीकांत रजावत ने स्वरूपों की आरती उतार कर किया। इससे पूर्व प्रातः बेला में श्रीदुर्गा सप्तशति एवं श्रीराम चरित मानस का पाठ एवं हवन हुआ।
श्रीकिशाेरी रास लीला एवं रामलीला संस्थान वृंदावन के गोविंद मिश्रा ने बताया कि दूसरे दिन की लीला में ब्राह्मणाें द्वारा प्रताप भानु एवं अरिमर्दन को श्राप दिया गया, जिसके कारण उनका जन्म रावण एवं कुंभकर्ण के रूप में हुआ। उनके सेवक धर्मरुचि का जन्म विभिषण के रूप में हुआ। वैभव, संपति के लिए रावण और कुंभकर्ण ने तप किया। रावण की मंदोदरी के साथ विवाह लीला, मेघनाद दिग्विजय, संतो से भी कर लेने के कारण श्राप और अत्याचार से पीड़ित होकर पृथ्वी की पुकार लीला का मंचन किया गया।
मठ प्रशासक हरिहर पुरी ने बताया कि शनिवार को रामलीला के तीसरे दिन श्रीराम जन्म होगा। जिसका मंचन देखने के लिए दूर दूर से भक्त आएंगे। स्थानीय घरों में श्रीराम जन्म के उपलक्ष्य में पूड़ी पकवान बनाए जाएंगे।
आठ को निकलेगी राम बरात
शहर के कोलाहल से दूर दिगनेर क्षेत्र में श्रीमनः कामेश्वर रामलीला के अंतर्गत राम बरात निकाली जाएगी। राम बरात पूरे परिक्षेत्र में भ्रमण करेगी। आस− पास के गांव राम बरात में झांकियां निकालेंगे। राम बरात के लिए लोगों ने अपने घरों को अभी से झालरों से सजा दिया है।