इस्लामाबाद में मौजूद थिंक टैंक तबाडलैब की एक रिपोर्ट ने पाकिस्तान की वित्तीय स्थिति की एक भयावह तस्वीर पेश की है। रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान का कर्ज अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के आंकलन से कहीं अधिक गंभीर है।
रिपोर्ट में कर्ज की स्थिति को ‘भड़कती आग’ के रूप में वर्णित किया गया है और ‘अपरिहार्य डिफॉल्ट’ की वॉर्निंग दी गई है, जिसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। यह खबर एक ऐसे समय में आई है, जब भारत के टाटा ग्रुप का मार्केट कैप पूरी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था से ज्यादा है। मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से टाटा ग्रुप 365 बिलियन डॉलर का है। वहीं IMF के मुताबिक पाकिस्तान की कुल जीडीपी 341 अरब डॉलर है।
पाकिस्तान के कर्ज की स्थिरता पर यह चिंता ऐसे समय में सामने आई है मतदाताओं के बीच पहले से ही अर्थव्यवस्था को लेकर निराशा है। पाकिस्तान में हुए चुनाव ने इस अनिश्चितता को और भी ज्यादा उजागर किया है। देश का शेयर बाजार पहले ही नकारात्मक रूप से प्रभावित हो चुका है। प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार शहबाज शरीफ ने संकट को रोकने के लिए एक नए IMF बेलआउट पैकेज की तत्काल जरूरत पर जोर दिया है।
कितना बढ़ रहा कर्ज
पिछले कुछ वर्षों में, पाकिस्तान का कर्ज काफी बढ़ा है। 2011 से 2023 तक, पाकिस्तान में प्रति व्यक्ति कर्ज 36% बढ़कर 2023 में $1,122 हो गया। इसी अवधि में, पाकिस्तान की प्रति व्यक्ति जीडीपी 2023 में 6% घटकर $1,223 हो गई। कर्ज और आय वृद्धि के बीच यह बढ़ता अंतर ज्यादा उधार लेने की जरूरत को दिखाता है। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि 2011 में जन्मे एक नवजात शिशु को 70,778 पाकिस्तानी रुपये का कर्ज विरासत में मिला, जबकि 2023 में जन्मे एक नवजात शिशु को 321,341 पाकिस्तानी रुपये के कर्ज के साथ शुरुआत होती है, जो 4.5 गुना वृद्धि दर्शाता है।
इन चुनौतियों पर दिया गया जोर
रिपोर्ट में सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और हरित परिवर्तन में बढ़ती फंडिंग की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है। पाकिस्तान में जलवायु भेद्यता और ऋण की चुनौतियां एक साथ शमन और तालमेल का अवसर प्रस्तुत करती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के कर्ज की विकराल चुनौती का समाधान करने के लिए तत्काल और रणनीतिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है, जो वर्तमान में बढ़ती आबादी की जरूरतों पर कर्ज चुकाने को प्राथमिकता दे रहा है।
-एजेंसी